भास्कर को पीएचसी प्रबंधक के हस्ताक्षरित बिल विपत्र हाथ लगा है। जिसके जरिए पीएचसी कुदरा प्रभारी से भुगतान की मांग की गई है। इस विपत्र के जरिए नवंबर से लेकर फरवरी तक अस्पताल में भर्ती मरीजों को दिए गए भोजन व नाश्ते के बदले भुगतान का दावा किया गया है। विपत्र के जरिए कुल 111598 रुपए की मांग की गई है। अब इस विपत्र की सत्यता पर सवाल खड़े हो गए हैं। महकमें में भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा जा रहा है इस तरह के विपत्र प्रस्तुत करना ही अवैध है। दरअसल यह विपत्र मां विंध्यवासिनी एजुकेशनल ट्रस्ट मुखराव, नुआंव के द्वारा जारी की गई है। लेकिन विपत्र पर दावेदार संस्थान के किसी भी पदाधिकारी या कर्मी के हस्ताक्षर नहीं है। अलबत्ता पीएचसी कुदरा के प्रबंधक रूपक के हस्ताक्षर किए गए हैं। इस तरह के विपत्र आने के बाद महकमे में हलचल तेज हो गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि इस तरह के फर्जी बिल विपत्र के जरिए विभाग से भुगतान कराए जाने की संभावना है। सूत्र के दावे के मुताबिक इस तरह की भुगतान कुदरा पीएचसी के अलावे अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में भी कराए जाने की संभावना है। यह न केवल मरीजों के भोजन देने की विपत्र में है। बल्कि इस तरह की विपत्र के जरिए मरीजों को कथित तौर पर दी गई दवाओं के विपत्र भी बनाए जा रहे हैं। विभाग के आधिकारिक सूत्र का दावा है कि इस तरह की विपत्र भुगतान में एनएचएम के कई कर्मियों की संलिप्तता है। जिसके जरिए फर्जी विपत्र भुगतान कराए जा रहे हैं। 4 माह के विपत्र एक साथ दिए गए कुदरा पीएचसी प्रभारी को भुगतान के लिए किए गए दावा विपत्र की प्रतिलिपि सिविल सर्जन को भी भेजी गई है। जो प्रबंधक के द्वारा हस्ताक्षरित है। इसमें नवंबर 2019 से लेकर फरवरी 2020 तक के विपत्र शामिल हैं।नवंबर माह में प्रति यूनिट 68 रुपए की दर से 401 यूनिट की मांग की गई है। इसी तरह अन्य महीनों के भी विपत्र में दावे किए गए है। विपत्र पर फर्म के कर्मी के हस्ताक्षर नहीं और न ही विपत्र संख्या खास बात यह है कि जिस विपत्र पर भुगतान के दावे के साथ सूचना के प्रतिलिपि सिविल सर्जन कार्यालय को भेजी गई है। उस विपत्र की प्रति में न तो विपत्र की संख्या अंकित है और न ही विपत्र पर आपूर्तिकर्ता एजेंसी के अधिकृत किसी कार्मिक का ही हस्ताक्षर है। इस तरह किए गए हैं डिमांडमाह- क्वांटिटी - यूनिट- दर नवंबर - दिसंबर- 445 - 31 - 68, जनवरी - 402- 31- 68 फरवरी - 315- 29 - 68 भर्ती मरीजों को दी जाने वाली भोजन नाश्ते की भुगतान पीएचसी से सिविल सर्जन कैमूर डॉक्टर अरुण कुमार तिवारी ने कहा कि इंडोर पेशेंट को दिए जाने वाले नाश्ता भोजन के विपत्र भुगतान का दायित्व संबंधित संस्थान के प्रभारी पदाधिकारी को है। यह तथ्य मेरे सामने नही आया है। यदि इस तरह की बात है तो जांच कराई जाएगी। जांच के बाद दोषी को चिन्हित कर नियम संगत कार्रवाई की जाएगी। सभी संस्थानों के द्वारा भुगतान की जा रही विपत्रों की भी जांच कराई जाएगी।



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