नागरिकता संशोधन बिल का मामला सिर्फ मुस्लिम व हिन्दुओं का मामला नहीं है। यह देश के संविधान से जुड़ा है। कैब में धर्म के आधार पर नागरिकता का प्रावधान है जो संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ है। इसे हर हाल में बदलना होगा। इसके लिए सभी को सड़क पर उतरना होगा। ये बातें जनसभा को संबोधित करते अररिया के पूर्व सांसद सरफराज आलम ने कही। उन्होंने सभा के जरिये केंद्र सरकार के अच्छे दिन आने के वादे को आड़े हाथों लिया। एनएपीएम के आशीष रंजन ने बिल का विरोध करते हुए एनआरसी को काला कानून बताया। अन्य वक्ताओं ने नागरिकता संशोधन बिल को सिरे से नकारते हुए राष्ट्र के साथ आम जनता के बंटने की बात कही। वक्ताओं ने कहा कि अधिकार की इस लड़ाई में सिर्फ मुस्लिम समुदाय ही नहीं हिन्दू समुदाय के एससी, एसटी तथा ओबीसी को भी आगे आने का आह्वान किया। साथ ही जम्हूरियत और संविधान को बचाने की अपील की। इसे दोनों समुदाय को बांटने वाला बिल करार दिया। हमारे देश वसुदेव कुटुम्बकम तथा गंगा जमुनी की परंपरा पर सीधा प्रहार किया जा रहा है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वक्ताओं ने 19 दिसंबर को सड़क पर उतरने का आह्वान करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने का अनुरोध किया।



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