भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने कहा कि जब हमने यमन से हजारों अल्पसंख्यकों को निकाला था तब किसी ने नहीं कहा कि भारत सरकार का एक मंत्री जा कर के वहां से अल्पसंख्यकों को क्यों निकाल रहा है? आज जब देश हित में घुसपैठियों को बाहर करने की कोशिश की जा रही है तो लोग विरोध क्यों? इसके साथ ही जब नागरिकता कानून से किसी भारतीय चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम या फिर सिख, ईसाई किसी को कोई नुकसान नही पहुंचने वाला, फिर क्यों विपक्ष के लोग लोगों को बरगलाकर देश को हिंसा की आग में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं? डाॅ. जायसवाल ने कहा कि राजद का शुरू से यही इतिहास रहा है। जब तक बैलेट पेपर से चुनाव होते थे तब यह बूथ लूटते थे और राज करते थे। लेकिन अब ईवीएम से वोटिंग हो रही है तो इनका जनसमर्थन गायब हो चुका है। अलबत्ता, इनकी पहले की मानसिकता आज भी कायम है। राजद ने 1990 से 2005 तक जिस परंपरा को निभाया, उसी परंपरा के अनुसार आज भी वे काम कर रहे हैं। गरीबों को सताना, ऑटो वालों को मारना, चाय वालों को तंग करना, लूटपाट करना उनके कार्यकर्ताओं का पेशा है। आज भी असामाजिक तत्व ही उनके सदस्य हैं। जिस तरीके से मोदी सरकार ने 6 महीने के अंदर निर्णय लिए हैं उसे विरोधी परास्त हैं।

राजद ने अपनी पुरानी राजनीतिक परंपरा दोहराई

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने बिहार बंद के दौरान हुई हिंसा को लेकर राजद पर सीधा हमला बोला है। कहा कि राजद के बिहार बंद में 1990 के दशक वाली पुरानी राजनीतिक परंपरा व संस्कृति देखने को मिली। रिक्शा- ठेला- टेंपू चालकों व चाय बेचने वालों को पीटा गया। यहां तक कि पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार- मारपीट किया गया, उनके कैमरे तोड़ दिए गए। राजद का चाल, चरित्र और चेहरा यही रहा है। इनके सदस्य केवल असामाजिक के सहारे दबंगई एवं गुंडागर्दी की राजनीति करते रहे हैं। राजद को इस बंद के दौरान जनसमर्थन नहीं मिला। इससे वे हताश और परेशान रहे।



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