जिंदा लोगों के बचाव के लिए जिस कोष का गठन किया गया था। उसी कोष से लाखों रुपए निकलवाकर मुर्दों को रखने के लिए घर बनवा दिया गया। यह है सदर अस्पताल में एक दशक पहले बनवाए गए मॉर्चरी रूम की हकीकत। जिसका निर्माण रोगी कल्याण समिति ने कराया था। उस समय भी बवाल मचा था। सदर अस्पताल के तत्कालीन एक अधिकारी ने ठेकेदार के पेमेंट पर भी रोक लगा दी थी। लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ हंगामे को दरकिनार कर मामले की लीपापोती कर दी गई। सदर अस्पताल में लगभग 20 लाखों रुपए की लागत से बनी 6 सीटों वाला मॉर्चरी रूम रख-रखाव केेे अभाव में अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है। इस रूम के रहने के बावजूद 2016 में एक मॉडल शव ग्रह का भी निर्माण कराया गया। लेकिन, उसकी भी स्थिति भी बुरी ही है। 2008-09 में रोगी कल्याण समिति के फंड से लाखों रुपए लगाकर सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बगल में सामने पड़े खाली मैदान पर मोरचरी रूम का निर्माण किया गया। ताकि शव को सुरक्षित रखा जाएगा। चर्चा है कि इसका पैसा रोगी कल्याण समिति से जारी किया गया था। हालांकि इस मामले में कोई भी अधिकारी मुंह नहीं खोल रहा है।
20 लाख की लागत से बना था मोरचरी रूम मे शव रखने के लिए 6 सीट वाला दो बॉक्स, अब पड़ा बेकार
सदर अस्पताल मे लावारिस शवों की दुर्दशा होती थी। इसके बाद लावारिस शवों को रखने के लिए मोरचरी रूम का निर्माण तो किया गया। साथ ही इसमें 6 सीट वाले दो बॉक्स की खरीददारी भी की गर्इ। यह खरीदारी बीएमएएसआईसीएल, पटना से की गई जिसमें करीब 20 लाख रुपए का खर्च आया। मशीन आने के साथ ही कब शुरू हुआ और कब खराब हो गया। इसके बारे में ना तो कोई कर्मचारी ही बता रहा है और ना अधिकारी पूरी तरह से बता पा रहे हैं। बस जवाब इतना मिला कि खराब हो गया है बनाने के लिए लिखकर पटना भेजा गया है। लेकिन 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक ना मशीन नहीं बन पायी।
मशीन बनवाने के लिए लिख कर भेजा गया है विभाग में
सदर अस्पताल के मैनेजर मनोज कुमार ने कहा कि मॉर्चरी रूम में शव रखने के लिए बनाए गए बॉक्स खराब हो गए हैं। उन्हें बनवाने के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। आदेश आते ही मशीन लगवा दिया जाएगा।
मनोज कुमार, मैनेजर, सदर अस्पताल
सदर अस्पताल में बदहाल पड़ा मॉर्चरी रूम।
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