स्थानीय चट्टी पर पुरी पुलिस सुरक्षा के बीच मां है शारदे का मूर्ति विसर्जन में गोरखपुर से आये पारम्परिक फरूआही लोक नृत्य का जलवा देख लोग मंत्रमुग्ध हो गये। केदारपरसा गांव के यादव सोसायटी द्वारा मूर्ति विसर्जन जुलूस में यूपी के गोरखपुर से आये पारम्परिक फरूआही लोकनृत्य के कलाकारों ने जमकर अपनी कला का जलवा बिखेरा।पैरों में घुंघरू बांध सफेद धोती गमछा आदि परिधानों से सजे युवा कलाकारों टीम फरूआही लोक नृत्य करते केदारपरसा गांव से रसूलपुर चट्टी पर पहुंचा तो इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। पूरी पुलिस सुरक्षा के बीच हो रहे मूर्ति विसर्जन में निषाद फरूआही डांस टीम के लोक नर्तक शमशेर, गोविंद, दुर्गेश, दुर्विजय ,साहिल आदि कलाकारों ने सामूहिक रूप से पावटी व ठुमके जैसे नृत्य विधा का प्रदर्शन कर दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकारों ने बताया कि यह लोक नृत्य पूर्वी उतर प्रदेश के भोजपुरी क्षेत्र में काफी लोकप्रिय रहा है। नगारा, तासा, झाल आदि पारम्परिक वाद्यों से सुसज्जित फरूआही लोक कला में वीर रस के गीत संगीत प्रस्तुत किये जाते हैं। हालांकि इस लोक कला का संरक्षण नहीं मिलने से विलुप्ति के कगार पर है। आयोजकों ने बताया कि फरूआही लोक कलाकारों के कला का प्रदर्शन वृहत पैमाने पर सारण जिले में करा कराया जाएगा ताकि भोजपुरी क्षेत्र के नयी पीढ़ी के युवा इस कला से परिचित हो कर इसे बढ़ावा दे सके।
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