प्रखंड के बाल विकास परियोजना कार्यालय में भ्रष्टाचार का बोलबाला इस प्रकार है कि एक ही सीट को सर्वेक्षण में पहले अति पिछड़ा और बाद में उसे अनुसूचित जाति का बना दिया जाता है। यह मामला प्रखंड के दो पंचायत लहटा तुमौल सूहथ पंचायत के वार्ड नंबर 11 स्थित आंगनवाड़ी केंद्र एवं गरौल पंचायत के वार्ड नंबर 7 में उजागर हुआ है। जहां दोनों सीटों पर पहले नवंबर दिसंबर 2018 में ऑफलाइन बहाली के लिए आवेदन लिया गया था। लेकिन लोगों के विरोध पर जब सर्वेक्षण कराया गया तो वह सीट अनुसूचित जाति का बाहुलता वाला हो गया। दोबारा वहां मई जून 2019 में आवेदन लिया गया लेकिन उसके कई महीना बीतने के बाद अब तक दोनों सीटों पर बहाली नही की गई। जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय पर भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का आरोप भी लगाया जा रहा है। अधलोआम पंचायत में आंगनबाड़ी केंद्र पर इसी प्रकार अनियमितता बरते जाने पर इसकी जांच हुई तो पर्यवेक्षिका गायत्री कुमारी पर दोष सिद्ध होने पर जिला से उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। जबकि बेनीपुर सीडीपीओ लक्ष्मी रानी यहां के प्रभार में थे उन पर भी प्रपत्र क गठन करने की बात हुई थी। पर्यवेक्षिका गायत्री कुमारी को दिसंबर माह में ही बर्खास्त कर दिया गया लेकिन कई महीना बीतने के बाद भी प्रखंड कार्यालय परिसर में सरकारी कर्मियों के लिए बनाये गए क्वार्टर में अभी भी डेरा जमाए हुए हैं। लहटा एवं गरौल की वर्तमान पर्यवेक्षिका रेनु कुमारी से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने समय में क्षेत्र की जो सर्वेक्षण जांच रिपोर्ट दिया है उसमें अनुसूचित जाति बाहुल्य का रिपोर्ट प्रस्तुत किया है। इस संबंध में गरौल पंचायत के मुखिया अनिल महतो ने कहा कि एक ही क्षेत्र के दो अलग-अलग मापदंड निर्धारित किए जाने को भ्रष्टाचार का बोलबाला बताया। सीडीपीओ आरती कुमारी ने इन दोनों सीटों पर इस तरह की गड़बड़ी होने का बात स्वीकार करते हुए बताया कि जल्द ही अब इन सीटों पर बहाली के लिए कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी।
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