![](https://i9.dainikbhaskar.com/thumbnails/680x588/web2images/www.bhaskar.com/2020/04/22/017_1587505580.jpg)
![](https://i9.dainikbhaskar.com/thumbnails/680x588/web2images/www.bhaskar.com/2020/04/22/017_1587505580.jpg)
(आलोक द्विवेदी) कोरोना के संदिग्ध मरीजों को क्वारेंटाइन और आइसोलेट किया जा रहा है, ताकि उसमें संक्रमण हो तो उसके संपर्क आने वाले इसकी चपेट में न आएं। लेकिन, बहुत कम लोगों को मालूम है कि बिहार सहित देश की सभी जेलों में 1907 से ही क्वारेंटाइन और आइसोलेशन की व्यवस्था है। जेल में आने वाले हर कैदी को 10 दिनों तक अन्य कैदियों से अलग रखा जाता है, ताकि उसे कोई बीमारी हो तो उससे अन्य कैदी संक्रमित न हों। इस दौरान डॉक्टरों की टीम लगातार उसकी निगरानी और जांच करती है। 10 दिन बाद जांच रिपोर्ट के आधार पर उसे बैरक में अन्य कैदियों के साथ रखा जाता है।
पहले थे दो ही कमरे
बेउर जेल में कैदियों के क्वारेंटाइन और आइसोलेशन के लिए 7 कमरे हैं। पहले दो कमरों में ही इसकी व्यवस्था थी। लेकिन, कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को देखते हुए सात कमरों की व्यवस्था कर दी गई है। पहले नए कैदियों को 10 दिनों के लिए क्वारेंटाइन किया जाता था। लेकिन, अब 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन करने की नई व्यवस्था लागू की गई है। पहले नए कैदियों को तीन-चार दिनों तक मुलाहिजा बैरक में रखा जाता था। इस दौरान यदि उसके अंदर किसी प्रकार के संक्रमण का लक्षण नहीं दिखाई देता था, तो उसे दूसरे कमरे में शेष दिन गुजारना पड़ता था। नए नियमों के मुताबिक कैदियों को 5 दिनों के लिए मुलाहिजा बैरक और 9 दिनों के लिए क्वारेंटाइन रूम में आइसोलेट किया जाता है। 14 दिनों के अंदर यदि कैदी सामान्य रहता है, तो मेडिकल जांच के बाद उसे सामान्य कैदियों के साथ रखा जाता है।
आजादी से पहले के हैं नियम
देश में जेलों के लिए बनाए गए नियम आजादी से पहले के हैं। जेल एक्ट 1894 के तहत जेल, कैदी, जेलर, चिकित्सक, भोजन, आवास, कैदियों के रहने और भोजन की व्यवस्था, चिकित्सा व्यवस्था सहित जेल में कैदियों के संक्रमण, स्थानांतरण के बारे में विस्तृत नियम बनाए गए हैं। इसमें संक्रमित कैदियों के रहने, एक से दूसरे जेल में स्थानंतरण के बारे में जानकारी दी गई है। इसके तहत यदि किसी कैदी को कोई संक्रमण की बीमारी है, तो एक से दूसरे जेल में स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है।
कैदी घटने से मिली राहत
कोरोना वायरस को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कई कैदियों को पेरोल पर रिहा किया गया। इससे बिहार की जेलों में काफी राहत मिली है। इसकी वजह से सभी कैदियों की आसानी से मेडिकल जांच की जा रही है। कोरोना वायरस को देखते हुए जेल प्रशासन की ओर से बिहार के सभी जिलों में कैदियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे सामान्य दिनों की तरह जेल के अंदर चहलकदमी करने की जगह अपने ही बैरकों में रहे।
कोरोना वायरस को देखते हुए जेल में कैदियों का लगातार स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। नए कैदी को 14 दिनों तक क्वारेंटाइन करने के बाद ही बैरक में अन्य कैदियों के साथ रखा जाता है। इसके लिए सात रूम बनाए गए हैं। जेल में कई वर्षों से कैदियों को क्वारेंटाइन किया जाता है, ताकि नए बंदी से जेल में बंद अन्य कैदियों को संक्रमण नहीं हो।-जवाहर लाल प्रभाकर, जेल अधीक्षक, बेउर
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Post a Comment