कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने को लेकर लाॅकडाउन जारी है। इस लॉक डाउन के कारण सबसे ज्यादा परेशानी मजदूर वर्ग के लोगों को हो रही है तो वहीं दूसरे राज्यों के लोग जो इस लॉक डाउन में फंसे हुए हैं। उनके सामने भी भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कुछ ऐसा ही हाल कुटुम्बा प्रखंड के महुआ धाम की है। लॉकडाउन होने के कारण यहां बिहार के साथ-साथ झारखंड व यपूी के कई जिलाें के परदेसी फंसे हुए हैं। स्थिति ऐसी हो गई है कि ये लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए हैं। ये लोग प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन अभी तक उन्हें प्रशासनिक स्तर पर कोई मदद नहीं मिली है। भूख व विवशता के कारण वे परेशान हैं। हालांकि कुछ समाजसेवियों के द्वारा उन्हें कुछ मदद दी गई है। लेकिन वह नाकाफी साबित हुई। अभी उनके पास कुछ भी नहीं बचा है। यहां तक की खबर कवरेज करने पहुंचे पत्रकार से भी मदद की गुहार लगाते दिखे।
डिस्टेंसिंग का नहीं हो रहा पालन, एक झोपड़ी में रहते हैं सात लोग
कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर हर स्तर पर सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने का निर्देश दिया जा रहा है। लेकिन महुआ धाम में फंसे लोग इसका पूरी तरह से उल्लंघन कर रहे हैं। यहां लगभग 100 छोटी-छोटी झोपड़ियां हैं। जिसमें एक झोपड़ी में चार से पांच लोग किसी तरह से रह रहे हैं। जिसके कारण यहां कोरोना वायरस के संक्रमण का भी डर बना हुआ है। प्रशासनिक स्तर पर सिर्फ इन्हें यह निर्देश दिया गया है कि वे लोग अपने झोपड़ी में ही रहें। कहीं बाहर न निकलें। इसके अलावे उन्हें कोई मदद नहीं मिली है। हालांकि स्थानीय भाजपा नेता दीपक गुप्ता, उप मुखिया सुनील साव, विद्या टॉपर्स के निदेशक धीरज तिवारी के द्वारा इन्हें कुछ मदद दी गई है। पर वो भी राहत सामग्री अब खत्म हो चुके हैं।

200 से ज्यादा परिवारों के सामने उत्पन्न है भूखमरी की स्थिति
महुआ धाम में रह रहे लगभग 200 से ज्यादा परिवारों के सामने इस लॉक डाउन में भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इनकी मदद करने वाला भी कोई नहीं है। जिसके कारण ये लोग भूखे प्यासे किसी तरह से रह रहे हैं। यहां झारखंड के पलामू, हरिहरगंज, टंडवा, चतरा, यूपी के बलिया जिले के परदेसी इस लॉक डाउन में फंसे हैं। वहीं बिहार के रोहतास, भोजपुर, अरवल, जहानाबाद, गया जिले के लोग लॉक डाउन में फंस गए हैं। लॉक डाउन के कारण ये लोग अपने घर भी नहीं जा सकते हैं।

परिवार के लोगों ने सुनाई अपनी पीड़ा

  • खाने के लिए नहीं एक दाना-भभूआ जिले के ओदार गांव की रहने वाली गीता देवी अपने पति विदेशी चौहान व परिवार के पांच अन्य सदस्यों के साथ दो माह पहले आयी थी। उससे व उसकी बेटी की तबीयत खराब थी। लॉक डाउन के कारण वे लोग यहां फंस गए। अब उनके पास खाने के लिए भी एक दाना नहीं और न ही उन्हें आर्थिक मदद मिल रही है। किसी तरह से जीवन यापन कर रहे हैं।
  • तीन साल से रह रहा परिवार- अरवल जिले के बैदरबाद गांव के सूरज परी अपने पति सूर्यदेव साव व बेटा-बहू के साथ तीन साल से यहां रह रही है। उसके परिवार की तबीयत खराब रहती थी। जिसके कारण ही वह यहां रहना शुरू की थी। पहले तो किसी तरह से मजदूरी कर परिवार का पेट भर लेती थी। लेकिन अब लॉक डाउन के कारण काम भी नहीं मिल रहा है। उसके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा है।
  • रोहतास जिले के भी कई परिवार हैं फंसे- रोहतास जिले के नोखा के दशरथ साव, चुटिया नौहट्‌टा के संजय चौधरी भी अपने परिवार के साथ यहां लॉक डाउन में फंसे हुए हैं। लॉक डाउन में फंसे होने के कारण इनके पास खाने का एक भी दाना नहीं है। कुछ दिन पहले समाजसेवियों के द्वारा मदद की गई थी। जिससे वे लोग किसी तरह से रहे। पर अब फिर से भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दाउदनगर के भटौलिया गांव निवासी अहिल्या देवी व जितेन्द्र चंद्रवंशी सात साल से यहां रहे हैं। किसी तरह से मजदूरी कर जीवन यापन करते थे। लॉक डाउन के कारण उनके सामने आर्थिक परेशान उत्पन्न हो रही है। प्रशासन से मदद की गुहार लगाए हैं।


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
200 Pardesi trapped in Mahua Dham of Aurangabad, dear to the grain, pay attention sir

Post a Comment