

(पंकज कुमार सिंह) अब बिहार में भी रंगीन (अलंकारी) मछलियों का उत्पादन होगा। बिहार के विभिन्न जिलों को रंगीन मछली का हब बनाने की योजना है। रंगीन मछली उत्पादन, बिक्री और एक्वेरियम निर्माण के माध्यम से अधिक से अधिक युवाओं और महिलाओं को रोजगार दिलाने का लक्ष्य है। रंगीन मछली उत्पादन के लिए सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा।
एससी-एसटी, ओबीसी और सभी वर्ग की महिलाओं को 60 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत इसका प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा रहा है। इस साल से ही यह योजना शुरू करने का लक्ष्य है। शुरू में पटना, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण सहित 8 जिलों में यह योजना लागू होगी। बाद में अन्य जिलों में इसे लागू किया जाएगा।
कोलकाता में प्रशिक्षण : उत्पादन के लिए मत्स्य निदेशालय इस योजना के तहत किसानों, युवाओं व महिलाओं को कोलकाता में प्रशिक्षण दिलाएगा। अभी रंगीन मछलियों की आपूर्ति कोलकाता से होती है। रंगीन मछलियों की यहां काफी डिमांड है।
इन मछलियों का होगा उत्पादन : गोल्डफिश, कोइकर्प, जेब्रा डामियो, ब्लैक बिडो, एंजल चिचलेट, ब्रूडल एंजल, टेट्रा, नियोन टेट्रा, सर्पा टेट्रा, बबल्स, एंजलफिश, रेडलाइन, तारपीडो, लोचेज, लिफफिश, गप्पीज, मौली, स्वार्डटेल, प्लेटी।
तीन तरह की योजना
इंटीग्रेटेड: रंगीन मछली फार्मिंग के लिए 500 वर्गमीटर हैचरी की लागत 25 लाख प्रति इकाई है। इसमें सालाना लगभग एक लाख रंगीन मछली का उत्पादन होगा।
मीडियम: 150 वर्गमीटर की लागत इकाई 8 लाख रुपए है। इसमें सालाना 30 से 32 हजार रंगीन मछली का उत्पादन होगा।
सबसे छोटा: 300 फीट की लागत 3 लाख रुपए है। इसमें सालाना लगभग 10 हजार मछली का उत्पादन होगा।
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