जैन धर्म के पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज का 18 दिसम्बर को अवतरण दिवस पर शहर में भव्य समारोह का आयोजन किया गया है। अवतरण दिवस समारोह मनाने को लेकर आचार्य रत्न श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज सहित 24 पिच्छी दिगम्बर जैन संतों के जत्था का शनिवार को आरा में प्रवेश किया। जिनका शहर में भव्य स्वागत किया गया।
जैन धर्म में चातुर्मास चार माह का ही होता है। लेकिन विषम परिस्थिति कोरोना महामारी के कारण पांच माह की देरी से हुआ है। जैन समाज के मंत्री सुवीर चंद्र जैन ने बताया कि जैन समुदाय के लिए आरा धर्मनगरी है। यहां कभी 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर अपने विहार/यात्रा के दौरान विश्राम किये थे। यहां उनका समवशरण लगा था। साथ ही यहां लगभग 45 जैन चैत्यालय व शिखरबन्द मंदिर भी है। मुनिसंघ सचिव अजय कुमार जैन व संयोजक शशांक जैन ने बताया कि आज शनिवार को धनुपरा स्थित श्री जैन बाला विश्राम में जैन साधुओं का ससंघ पधारे है।
रविवार को यहां से पंचरंगे जैन ध्वज और पताके के बीच आचार्य श्री ससंघ को लेकर भव्य शोभायात्रा के साथ श्री दिगम्बर जैन मुनि संघ सेवा समिति और सकल जैन समाज आरा के तत्वावधान में श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में मंगल आरती, पाद प्रक्षालन कर भव्य स्वागत किया जाएगा।
नगर में वर्षों बाद 24 जैन मुनियों और 24 ब्रह्मचारियों का एक साथ विशाल ससंघ के भव्य मंगल प्रवेश को लेकर स्वागत की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। सभी धार्मिक कार्यक्रम कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार ही आयोजित की जाएगी। मीडिया प्रभारी निलेश कुमार जैन ने कहा कि आचार्य श्री गुरुदेव का मंगल सानिध्य पाकर हमारा जीवन धन्य हुआ। उनके श्री मुख से दिव्य देशना और धर्मोपदेश सुनकर हमारा जीवन प्रशस्त होगा।
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