टीएमबीयू एक ओर सीटीई घंटाघर के 17 फैकल्टी काे यह कहकर शाेध गाइड बनने की अनुमति नहीं दे रहा है कि इन शिक्षकाें के दाे साल का प्राेबेशन पीरियड पूरा नहीं हुआ है। दूसरी ओर इस अवधि के दूसरे काॅलेजाें के शिक्षकाें काे काेऑर्डिनेटर, पीआरओ और पीजी हाॅस्टल का अधीक्षक बना रहा है। यानी प्राेबेशन पीरियड के शिक्षकाें के मामले में अलग-अलग व्यवस्था।

सीटीई घंटाघर के फैकल्टी काे शाेध कराने का माैका नहीं देने का मामला सामने आने पर प्रभारी वीसी डाॅ. एके सिंह ने सीसीडीसी डाॅ. केएम सिंह काे इसकी पड़ताल करने काे कहा था। बताया गया कि सीटीई के फैकल्टी अभी प्राेबेशन पीरियड में हैं। इस वजह से वे यह पीरियड पूरा हाेने तक शाेध नहीं करा सकते हैं। विश्वविद्यालय का तर्क है कि सीटीई में केवल प्राचार्य डाॅ. राकेश कुमार ही शाेध कराने की याेग्यता रखते हैं।

प्राेबेशन पीरियड वालों को दी जा रही है जिम्मेदारियां
दूसरी ओर विवि प्राेबेशन पीरियड वाले शिक्षकाें काे जिम्मेदारियां दे रहा है। बीपीएससी से 2017, 2018 और 2019 में नियुक्त हुए शिक्षकाें काे पीआरओ, पीजी हाॅस्टल का अधीक्षक, काे-ऑर्डिनेटर, अंगीभूत काॅलेज का परीक्षा नियंत्रक, एनएसएस प्राेग्राम अफसर बनाया गया है। भुस्टा के अध्यक्ष डाॅ. डीएन राय ने बताया कि 2017 या उसके बाद नियुक्त ज्यादा शिक्षकाें काे प्राेबेशन पीरियड पूरा नहीं हुआ है।

कई विवि में प्रोबेशन पीरियड एक साल का
बीएनएमयू, जेपीयू छपरा सहित कुछ अन्य विवि में प्राेबेशन पीरियड एक साल का है। कुछ ने पहले ही यह व्यवस्था कर ली थी और कुछ ने पिछले साल यह बदलाव किया। पूर्व प्रभारी वीसी डाॅ. एके राय के समय टीएमबीयू में भी इस पर विचार हुआ था लेकिन यहां प्राेबेशन पीरियड दाे साल ही रहने दिया गया।

प्रोबेशन पीरियड में काेई भी पद भी देना गलत
विश्वविद्यालय प्राेबेशन पीरियड एक या दाे साल रखने का निर्णय ले सकता है। इस अवधि के शिक्षकाें काे काेई जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए। अगर प्राेबेशन पीरियड काे लेकर शाेध की अनुमति नहीं दी जा सकती है ताे इस अवधि में काेई पद भी देना गलत है। प्राे. रामयतन प्रसाद, पूर्व प्राेवीसी, टीएमबीयू



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टीएमबीयू (फाइल फोटो)

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