कोरोना संक्रमण के चलते लंबे समय से अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चल रही सुनवाई की बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने निंदा की है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अब और सुनवाई ठीक नहीं है।
बार काउंसिल ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि न्यायपालिका में जब वकीलों की अहम भूमिका होती है तो आखिरकार किस कारण से इस संस्था को सरकार अपंग बना देना चाहती है। सरकार वकालत को एक बड़े विदेशी फर्म को सौंप देना चाहती है। यानी इस पेशे में केवल बड़ी हस्ती के लोग ही रह सकेंगे। साधारण वकील इससे कोसों दूर हो जाएंगे। यह मंशा पूरी नहीं होने दी जाएगी।
यूपी के मामले पर तीन-चार दिनों में बैठक: चेयरमैन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो वकील अपने ड्रेस में थे, उनके यूनिफॉर्म को फाड़कर पुलिस द्वारा निर्ममतापूर्वक कार्रवाई की गई। इसे लेकर पूरे देश के वकील प्रतिनिधियों के साथ तीन-चार दिनों के अंदर बड़ी बैठक की जाएगी। इन सारी बातों की जानकारी गृह मंत्री अमित शाह को भेज दी गई है, ताकि वह वकीलों की समस्याओं को तत्काल गंभीरता से लें।
वीसी से 5% वकीलों को ही लाभ, शेष भूखों मर रहे हैं
चेयरमैन ने कहा कि वकीलों के कल्याण के लिए किसी भी प्रकार की कार्रवाई सरकार ने नहीं की। यहां तक कि बिना सूद के लोन तक की भी घोषणा नहीं की गई। यह सब कुल मिलाकर वकीलों के हाथों को काटने जैसा है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से 5% वकील लाभान्वित होते हैं, बाकी भूखे मर रहे हैं।
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