

लॉकडाउन के बाद से ट्रायल कोर्ट में पेंडिंग केसों की संख्या बेशुमार बढ़ी है। सभी ट्रायल कोर्ट में करीब 25 केस पेंडिंग हैं। इन केसों में 100 से ज्यादा स्पीडी ट्रायल के हैं। जिन्हें हाईकोर्ट ने भी जल्दी डिस्पोजल करने को कहा था। पेंडिंग केसों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने भी चिंता जताई है और जजों की संख्या भी बढ़ाने को कहा था।
इसके बाद करीब एक साल पहले जजों की संख्या बढ़ाई, लेकिन समस्या खत्म नहीं हुई। पेंडिंग केसों में करीब एक चौथाई ऐसे मामले हैं, जिनमें गवाही तक पूरी नहीं हुई है। बिना गवाही के ट्रायल स्टेबलिस नहीं हो पा रहा है। सबसे ज्यादा गवाही की पेंडेंसी चश्मदीद (आई विटनेस) और पुलिस पदाधिकारी की है।
गवाहों को बुलाने के लिए कोर्ट को वारंट भी जारी करना पड़ा है। इसके बावजूद पुलिस अफसराें को बुलाने में परेशानी हो रही है। अफसर रिटायर होने के बाद बची हुई गवाही के लिए नहीं आ रहे। इनकी गवाही के अभाव में ही ‘कांड का सच’ न्याय की चौखट पर दम तोड़ रहा है।
जानिए इन केस हिस्ट्री से कैसे ट्रायल में हो रही देरी
केस- 1: बबरगंज थाना कांड संख्या - 60/19: अप्रैल 2019 में अलीगंज में छात्रा पर हुए एसिड कांड में अब तक चश्मदीद गौतम कुमार साह की गवाही नहीं हुई। दो नामजद मुदालह जेल में है। इस केस में तीन डॉक्टर, आईओ, डीएसपी के अलावा पारिवारिक सदस्य व आसपास के साक्षियों की गवाही होनी है। पॉक्सो कोर्ट में स्पीडी ट्रायल में सुनवाई होनी है। गवाही में देरी से एक साल में केस का निपटारा अधर में है।
केस- 2: सबौर थाना कांड संख्या - 131/17: 20 नवंबर 2017 को इंजीनियरिंग कॉलेज गेट के पास अपराधियों ने पूर्णिया के डगरूआ पीएचसी की एएनएम अंजनी कुमारी (35) की टेम्पो में गोली कर हत्या की थी। घटना के समय टेम्पो में अंजनी के गांव के चाचा सुरेंद्र कुमार भी थे। उन्हें चश्मदीद मान उनके बयान पर एफआईआर दर्ज की गई और जांच में राजेश गुप्ता की पत्नी मधु की मिलीभगत सामने आई। अब तक सुरेंद्र की गवाही नहीं हुई।
केस - 3: लोदीपुर थाना कांड संख्या - 123/19: 10 जुलाई 2019 को खुटाहा गांव में पूर्व सैनिक गणेशी यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में उनकी पत्नी सरस्वती देवी ने खुद को चश्मदीद बताकर मुखिया वीरेंद्र यादव, उसका भाई इनामी अपराधी रविंद्र यादव (अब जेल में) समेत छह लोगों पर एफआईआर की थी। रविंद्र पांच दिन पहले पकड़ा गया है। इस मामले में अब तक चश्मदीद सरस्वती की गवाही नहीं हुई है। इस केस में स्पीडी ट्रायल के तहत सुनवाई की जानी है। लेकिन केस पेंडिंग है।
केस की मजबूती पर क्या असर
ट्रायल शुरू होने में गवाही अहम है। खासकर इंफोर्मेंट व आईआे की। इन दोनों की गवाही के बाद अन्य सरकारी मुलाजिमों व स्वतंत्र साक्षियों के बयान के बाद केस मजबूत होता है और आरोपी को सजा दिलाने में सहूलियत होती है। कई बार आईओ को कोर्ट बुलाने के लिए व्हाट्सएप पर मैसेज व फोन पर जानकारी देनी पड़ती है। -सत्यनारायण प्रसाद साह, पीपी
गवाही सुनिश्चित करने के लिए सेल
ट्रायल कोर्ट में गवाही सुनिश्चित करने के लिए एक सेल बनाया गया है। वहां पीपी, एपीपी द्वारा मिले मैसेज के आधार पर संबंधित पुलिस पदाधिकारियों व अन्य गवाहों को कोर्ट भेजा जाता है। लॉकडाउन के चलते अभी गवाही कम हो रही है लेकिन कोर्ट के फुल फंक्शन में आने पर तमाम बड़े मामले के चश्मदीदों की गवाही कराई जाएगी। -सुजीत कुमार, डीआईजी
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