नगर निगम हाइड्राे जियाेलाॅजिकल टेस्ट कराए बिना शहर में बाेरिंग गाड़ रहा है। इस टेस्ट से यह पता चलता है कि बाेरिंग गाड़ने के बाद यहां कितने समय तक और कितना पानी रहेगा। इस टेस्ट काे नहीं कराने से दिक्कत यह हाे रही है कि गर्मी आते ही कई जगहाें पर पानी का लेयर नीचे चला जाता है और वह पानी देना बंद कर देता है। निगम ने सात कराेड़ 22 लाख की लागत से शहर में 19 डीप बाेरिंग गाड़ने की याेजना बनायी।

इनमें 15 बाेरिंग गाड़ भी दिये। लेकिन कहीं पर भी हाइड्राे जियाेलाॅजिकल टेस्ट नहीं कराए। बाेरिंग गाड़ने के प्रस्ताव में भी इसे शामिल नहीं किया। दिक्कत यह है कि बाेरिंग फेल हाेने के बाद अलग से पाइप डालकर पानी खींचा जाता है, लेकिन इससे बार-बार माेटर जल जाता है। बिहार राज्य जल पर्षद की ओर से दस वर्ष पूर्व शहर में 31 बाेरिंग लगाए गए थे।

इनमें से कई बाेरिंग गर्मी आते ही फेल हाे जाते हैं। उसमें बालू आने लगता है। किसी तरह बाेरिंग के माेटर का पावर कम कर उसे चलाया जाता है। हर साल माेटर जलने काे लेकर हल्ला-हंगामा भी हाेता है। अगर बाकी बचे बाेरिंग गाड़ने से पहले यह जांच नहीं हुई ताे उनके भी फेल हाेने की आशंका है।

बालू आते ही बंद कर रहे बोरिंग को गहरा करने का काम

शहर के 19 स्थानाें पर 500 फीट गहराई के बाेरिंग गाड़ने की शुरुआत हुई। इनपर सात कराेड़ 22 लाख रुपए खर्च करने की याेजना बनी। निगम प्रशासन ने टेंडर जारी कर एजेंसियाें का चयन भी किया। 15 बाेरिंग गाड़े गए, लेकिन निगम अफसराें काे यह पता नहीं है कि हाइड्राे जियाेलाॅजिकल टेस्ट भी कराना जरूरी है।

इनमें कई बाेरिंग चार साै फीट से अधिक गहरा नहीं किया गया। निगम के इंजीनियराें ने यह पैमाना अपनाया है कि जब तक धरती के नीचे से बालू नहीं आए वहां का पानी अच्छा नहीं हाेगा। जैसे ही बालू आता है, वे गहरा करने का कार्य बंद कर देते हैं। जबकि जरूरी यह भी जांचना है कि यहां पानी कितने दिनाें तक टिकेगा।

निगम दफ्तर के बाेरिंग से आता है मटमैला पानी

नगर निगम कार्यालय परिसर में ही पार्षद कक्ष के पास एक बाेरिंग गाड़ा गय। लेकिन दाे माह बाद ही इससे मटमैला पानी आने लगा। अब उसके पानी का उपयाेग पीने में नहीं हाे रहा है। केवल टाॅयलेट में व हाथ धाेने में उसका उपयाेग हाेता है। बरसात के माैसम से लेकर फरवरी तक इस बाेरिंग से पानी ठीक आता है पर मार्च से पानी गंदा आने लगता है।

इन जगहों के बाेरिंग हर साल हाे रहे हैं फेल

माेहद्दीनगर शहरी पीएचसी, मुंदीचक डिक्सन माेड़ के पास, नरगा, महेशपुर, जाेगसर, सच्चिदानंद नगर, वार्ड 47 के भट्टा राेड, वार्ड 35 के विषहरी स्थान के पास, वार्ड 44 काली मंदिर राेड, इशाकचक पानी टंकी के आगे, राधा कृष्ण ठाकुरबाड़ी, काैवाकाेली व सीटीएस।

अब टेंडर के प्रस्ताव में जांच काे भी जाेड़ेंगे

हाइड्राे जियाेलाॅजिकल टेस्ट क्या हाेता है, इसकी जानकारी नहीं है। इंजीनियराें से बात कर इसे आगे के टेंडर प्रस्ताव में जाेड़ेंगे। अगर टेस्ट कराने से पानी के लेवल का पता चलता है ताे यह हाेना चाहिए।

सत्येंद्र प्रसाद वर्मा, पीआरओ, निगम



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नगर निगम परिसर में लगे इस बोरिंग से निकल रहा मटमैला पानी।

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