पटना. साल 2019 ने विदा ले लिया। 2020 के साथ एक नए दशक का आगमन हुआ है। नया साल बिहार के लिए खास है। अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। कैलेंडर में साल भले बदल गए हों, लेकिन बिहार के लोगों की समस्याएं जस की तस हैं। नए साल में लोगों को बाढ़ और सूखा जैसी परेशानियों से दो-चार होना पड़ेगा। हालांकि नया साल नई उम्मीद लेकर आता है। ऐसे में हमें भी आशा है कि लोगों को इन समस्याओं से राहत मिलेगी। आइए जानते हैं ऐसी 10 समस्याओं के बारे में...

बाढ़
बिहार और बाढ़ एक दूसरे के पर्याय हैं। शायद ही ऐसा कोई साल गुजरा हो जब बिहार में बाढ़ न आया हो। हिमालय का तराई क्षेत्र होने के चलते नेपाल से लगा राज्य का इलाका हर साल बाढ़ की चपेट में आता है। वहीं, गंगा, गंडक व अन्य नदियों में भी लगभग हर साल बाढ़ आती है। कोसी और गंगा जैसी नदियों में तेजी से हो रहे गाद के जमाव ने बाढ़ की समस्या को बढ़ा दिया है। बाढ़ से कम से कम नुकसान हो इसके लिए नदियों से गाद निकालने और तटबंध मजबूत करने की दिशा में काम हो रहे हैं।

जल-जमाव
1987 के बाद 2019 पहला ऐसा साल था जब पटना के लोगों को भारी जल जमाव का सामना करना पड़ा। पूरा पटना एक सप्ताह तक जलमग्न रहा। सबसे अधिक परेशानी राजेंद्र नगर, कंकड़बाग, दानापुर जैसे इलाके में दिखी। यहां तो लोग 15 दिनों तक घर में कैद रहे। बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी के घर में पानी घुस गया, जिसके चलते वह दो दिन तक घर में कैद रहे। बाद में एनडीआरएफ के जवानों ने उन्हें निकाला। पटना फिर से न डूबे इसके लिए सभी नालों को अतिक्रमण मुक्त किया जा रहा है। नालों की सफाई के साथ ही पूरे ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने की दिशा में काम हो रहा है।

एईएस
मई-जून 2019 में एईएस नाम की बीमारी मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के जिलों में बच्चों पर कहर बनकर टूटी। इसके चलते करीब 200 बच्चों की मौत हुई। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि एईएस क्यों होता है। राज्य सरकार ने एईएस से प्रभावित इलाकों को चिन्हित किया है। सरकार अब इन इलाकों के बच्चों के पोषण, सफाई, जागरूकता व अन्य उपायों पर काम कर रही है, जिससे आगे ऐसी विपदा न आए।

अपराध
अपराध बिहार के लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या रही है। हत्या, लूट, रंगदारी और रेप जैसी संगीन वारदात लोगों के दिलों में खौफ पैदा करते हैं। 2019 में जनवरी से सितंबर तक हत्या की 2379, डकैती की 285, लूट की 1726, सेंधमारी की 3438, चोरी की 26566, उपद्रव की 5565, अपहरण की 8571 और रेप की 1165 घटनाएं हुई।

प्रदूषण
नवंबर से दिसंबर तक पटना के लोगों के लिए वायु प्रदूषण परेशानी का मुख्य कारण बना रहा। एक्यूआई लगातार 400 से ऊपर बना रहा। इन दो माह में शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब पटना की हवा संतोषजनक रही हो। वायु प्रदूषण के मामले में पटना कई दिनों तक देश में पहले स्थान पर रहा। पटना के सात मुजफ्फरपुर और गया की हवा दिल्ली से भी अधिक दूषित रही। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य सरकार ने 15 साल से पुराने डीजल इंजन वाले वाहनों पर रोक लगा दिया। इसके साथ ही 2021 से पटना में डीजल ऑटो नहीं चलने देने का फैसला लिया गया।

पानी
पर्यावरण पर संकट के कारण भूजल स्तर नीचे चला जा रहा है। पहले सिर्फ दक्षिण बिहार में ही पानी की कमी होती थी। इस वर्ष तो उत्तर बिहार में भी भूजल स्तर काफी नीचे चला गया। पहले बिहार में 15 जून से ही मॉनसून की शुरुआत हो जाती थी और औसतन 1200 से 1500 मिलीमीटर वर्षा होती थी। पिछले तीस साल में वर्षा का सालाना रिकॉर्ड देखें तो यह औसतन 1500 मिलीमीटर से घटकर 1027 मिलीमीटर पर पहुंच गई है। वहीं पिछले 13 वर्षों में हालात और भी खराब हुए हैं। बिहार में औसत वर्षा घटकर 901 मिलीमीटर पर पहुंच गई है। इससे भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। पानी की कमी को दूर करने के लिए सरकार जल-जीवन हरियाली अभियान चला रही है।

चिकित्सा
राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। साल दर साल बीतने के बाद भी बहाली नहीं हो पा रही है। सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में डॉक्टरों के पांच हजार से भी अधिक पद खाली पड़े हैं। वहीं अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दक्षिण बिहार में एक एम्स खुल चुका है लेकिन उत्तर बिहार के लोगों के लिए अभी तक एम्स का स्थान ही तय नहीं हो पा रहा है। दरभंगा में एम्स खुलने की बात होती है, लेकिन अभी तक अंतिम सहमति नहीं बन सकी है।

सूखा
बिहार एक ऐसा राज्य है जो एक साथ बाढ़ और सूखे का सामना करता है। राज्य के कुछ हिस्से हर साल बाढ़ के शिकार होते हैं तो कुछ सूखे के। लगातार कम हो रही बारिश के चलते जलस्तर नीचे चला गया है, जिससे किसान अपनी फसल को सींच नहीं पाते। पिछले साल राज्य के 1.26 लाख परिवार सूखा प्रभावित घोषित हुए। 18 जिलों के 102 प्रखंडों की सूखा प्रभावित 896 पंचायतों के सभी परिवार को 3-3 हजार रुपए तत्काल सहायता के रूप में दी गई। इसके साथ ही सरकार डीजल सब्सिडी भी दे रही है। सूखा के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार जल-जीवन हरियाली अभियान चला रही है।

रोजगार
बिहार देश के उन राज्यों में से एक है जहां बेरोजगारी की दर सबसे अधिक है। ट्रेनों में भरकर काम की तलाश में दूसरे राज्य की ओर पलायन करते लोग इसकी कहानी बयां करते हैं। राज्य में बड़े कारखानों की कमी है। खेती से मजदूरों को सालभर रोजगार नहीं मिलता, जिसके चलते वे पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र समेत पूरे देश में काम की तलाश में भटकने को मजबूर होते हैं। यहां बेरोजगारी 11.47 फीसदी है।

कृषि
बिहार की मिट्टी बेहद उपजाऊ है। राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से केवल 56.03 लाख हेक्टेयर पर खेती होती है। जनसंख्या के दवाब के चलते खेती दिनोंदिन कम लाभ का काम हो गई है। बिहार सरकार खेती को लाभ का काम बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। राज्य सरकार जैविक खेती पर जोड़ दे रही है, इसके साथ ही सरकार की कोशिश है कि बिहार के कृषि उत्पाद पूरे देश में पहुंचे।



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2019 took off, expected by 2020; Relief from these 10 problems

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