पटना.हार्ट अटैक! बिहार में मौत का दूसरा नाम। वजह-सिस्टम। राजधानी में हैं तो किस्मत ठीक, वरना भाग्य व सिस्टम से लड़ाई। पटना के सीमावर्ती गांव में हैं, तब भी हार्ट अटैक से 6 घंटे के भीतर, यानी गोल्डन आॅवर में इलाज मुश्किल है। पटना के सरकारी अस्पतालों में ईसीजी जांच होती है। दरभंगा में डीएमसीएच में हो रही जांच। शेष 36 में से 13 जिलों के सदर अस्पतालों ने ही प्राथमिक पुष्टि करने वाली ईसीजी मशीन चालू रखने का दावा किया। बाकी 23 में यह है ही नहीं। जबकि, एक्सपर्ट कहते हैं कि दो घंटे में एंजियोग्राफी नहीं होने की संभावना हो तो ईसीजी देखकर ही जीवनरक्षक इंजेक्शन देना होता है। पहली बार दिल की एेसी पड़ताल में यह डरावना सच सामने आया है।


हार्ट की बची कार्यक्षमता जांचने वाली इको कार्डियोग्राम किसी अस्पताल में नहीं। महज 600 रुपए में अटैक की पुष्टि करने वाला ट्रॉप-टी किट भी सिर्फ बेगूसराय में है। बदकिस्मती कि गोल्डन आॅवर में जरूरी एंजियोप्लास्टी पटना छोड़ कहीं नहीं। इसी कारण हर साल न्यूनतम 20 हजार मौत। पटना एम्स में भी फिलहाल एंजियोग्राफी ही हो रही। सरकारी में सिर्फ आईजीआईएमएस और आईजीआईसी के कैथ लैब में एंजियोग्राफी-एंजियोप्लास्टी दोनों हो सकती है, लेकिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे के बीच पहुंचे तभी। आईजीआईएमएस में हार्ट सर्जरी के लिए 450 से ज्यादा वेटिंग में हैं।

भास्कर एक्सपर्ट-इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) बिहार के वरीय उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार }पारस एचएमआरआई के कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. निशांत त्रिपाठी }जीवक हॉर्ट हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. अजीत प्रधान

पहले लक्षण से गोल्डन ऑवर करें कैलकुलेट

बीच सीने में तीव्र दर्द, अचानक गिर पड़े आदमी, दर्द जबड़ों, बाएं हाथ या पेट में बढ़े, पसीना आए, सांस फूले, दम घुटे, मिचली आए...हार्ट अटैक की पुष्टि पर इनमें से पहले दिखे लक्षण से उलटी गिनती शुरू।

ईसीजी के बाद ग्रेस बढ़ाने वाला इंजेक्शन पड़ेगा
ईसीजी बगैर स्पेक्ट्रोकाइनेज या यूरोकाइनेज का इंजेक्शन दिया नहीं जा सकता। दो घंटे के अंदर एंजियोप्लास्टी की संभावना नहीं हो तो 6 घंटे के वक्त के लिए मेडिकल सुपरविजन में सुई दिला अस्पताल पहुंचाएं।

सरकार का दावा- सदर अस्पतालों में ईसीजी है, जहां नहीं है, वहां जांच सुविधा जल्द दी जाएगी

स्वास्थ्य विभाग प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा किस्वास्थ्य विभाग ईसीजी के लिए हॉस्पिटल की मैपिंग करवा रहा है। जिला के सदर अस्पतालों में ईसीजी जांच की सुविधा है। जहां नहीं है, वहां जल्द उपलब्ध करवा दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग पीपीपी मोड में जिला अस्पतालों में कार्डियक सेंटर बनाने की तैयारी है। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।



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बिहार के सदर अस्पतालों में आईसीयू की हालत।

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