रामगंज के कार्तिक स्थान मेला ग्राउंड में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा संचालित सत्संग से क्षेत्र का माहौल भक्तिमय हो गया है। साध्वी अमृता भारती ने कहा कि हमारे समस्त धार्मिक ग्रंथ एवं महापुरुषों ने कहा है कि ईश्वर की भक्ति के बिना कोई भी मनुष्य सुखी नहीं हो सकता है। लेकिन विडंबना है कि आज मनुष्य अपने-अपने तरीके से लगभग सभी भक्ति करते हैं फिर भी वह दुखी है।
इसका मूल कारण है कि सभी मन की भक्ति करते हैं। महापुरुषों द्वारा बताए गए शाश्वत भक्ति की वास्तविक विधि को नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति का अर्थ होता है जुड़ना या मिलना। हम परमात्मा से तब मिलेंगे जब परमात्मा को देखेंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि तुम मुझे इन स्थूल नेत्र के द्वारा नहीं देख सकते, मैं तुझे दिव्य चक्षु प्रदान करता हूं। जिससे तुम मेरे वास्तविक रूप (प्रकाश) को देख पाओगे और उन्होंने दिखाया। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को केवल उपदेश मात्र नहीं दिया अपितु ब्रह्मज्ञान प्रदान कर अर्जुन के अंदर ईश्वर के उस परम प्रकाश रूप का साक्षात्कार किया। वर्तमान समय में भी अगर आपके जीवन में एक पूर्ण सद्गुरु का पदार्पण हो तो वह अपनी कृपा से शिष्य के अंदर दिव्य दृष्टि प्रदान कर ईश्वर के वास्तविक रूप (प्रकाश रूप) का साक्षात्कार करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आशुतोष महाराज जी की कृपा से इस शाश्वत युक्ति (ब्रह्मज्ञान) को प्राप्त कर लाखों लोग आनंदमय जीवन जी रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में स्वामी यादवेंद्रानंद जी ने कहा कि दम तोड़ती मानवता को अगर कोई बचा सकता है तो वह है ब्रह्मज्ञान की शीतल फुहार।
आदिकाल से ऋषि मुनियों ने इन्हीं शाश्वत युक्ति के द्वारा संपूर्ण समाज की आत्मा का साक्षात्कार कराए। मौके पर साध्वी महामाया भारती, शालिनी भारती, पुष्पा भारती व गुरुभाई गोपालजी सहित दूर-दराज के क्षेत्रों से आए श्रद्धालु भी शामिल थे।
बिहारीगंज में आयोजित सत्संग में शनिवार को दूर-दराज के क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालु।
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