जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों का मुफ्त इलाज अाईजीअाईएमएस में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत होगा। इस योजना के तहत देश में पहली बार दानापुर के सात साल के बच्चे में बोन ब्रिज इंप्लांट किया गया। राज्य में पहली बार किसी बच्चे को बोन ब्रिज इंप्लांट किया गया। इस बच्चे का कान ही ठीक से नहीं बना था। वह सुन नहीं पा रहा था। प्राइवेट में इलाज कराने पर 10 लाख से 15 लाख रुपए खर्च होते। लेकिन, इस योजना के तहत इंप्लांट मुफ्त में हो गया। अाॅपरेशन ईएनटी विभाग के हेड डॉ. राकेश कुमार सिंह ने किया। टीम में डॉ. सरिता मिश्रा, डॉ. वंदना शर्मा, डॉ. अंशुमान राय और डॉ. ज्योति शामिल थीं। डॉ. सिंह ने कहा कि अाॅपरेशन जटिल है। जिन बच्चों में कॉकलियर इंप्लांट नहीं होता अमूमन उन्हीं में बोन ब्रिज इंप्लांट किया जाता है। यह बच्चे के कान की गड़बड़ी पर निर्भर करता है। बोन ब्रिज को चमड़े के अंदर इंप्लांट किया जाता है। बाहर से कुछ दिखाई नहीं देता है। यह बच्चा एक महीने के बाद धीरे-धीरे सुनने लगेगा। अाॅपरेशन में डेढ़ घंटे का समय लगा।

बच्चों की 22 तरह की सर्जरी मुफ्त में की जाती है

अाईजीअाईएमएस में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी डॉ. सुजीत सिन्हा ने बताया कि इस बच्चे का इंप्लांट आस्ट्रिया से मंगाया गया। इस योजना के तहत जन्मजात हार्ट, ब्रेन, स्पाइन, क्लब फुट अादि बीमारियों का इलाज मुफ्त में होगा। कार्यक्रम के राज्य के नोडल अाफिसर डॉ. अारएन द्विवेदी ने कहा कि इस योजना के तरह बच्चों की 22 तरह की सर्जरी मुफ्त में की जाती है। इलाज, दवा और परिजन के रहने से लेकर भोजन तक की सुविधा मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है। इस सुविधा का लाभ देने के लिए राज्य के नौ बड़े सरकारी अस्पतालों के साथ करार किया गया है। मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि संस्थान में अब इस योजना लाभ नियमित मिलेगा।



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