नमक सत्याग्रह स्थल गढ़पुरा में स्मारक निर्माण की मांग को लेकर चौथे दिन भी सत्याग्रह जारी रहा। गुरूवार को सत्याग्रह के समर्थन में जिले के बुद्धिजीवी, समाजसेवी, राजनीतिक व सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग सत्याग्रह में शामिल हुए। नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के राष्ट्रीय सचिव राजीव कुमार ने कहा कि बिहार का डांडी नमक सत्याग्रह स्थल गढ़पुरा है, इस विरासत को संजोना और संवारना हम सबों का दायित्व है, इसलिए ही हम स्मारक निर्माण की मांग को ले सत्याग्रह पर बैठे है। धरना को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अनिश्चितकालीन सत्याग्रह कर रहे सत्याग्रहियों के एक प्रतिनिधि के साथ मंगलवार को एसडीएम की मौजूदगी में डीडीसी ने वार्ता की। हालांकि वार्ता बेनतीजा रहा था। वार्ता विफल होने के बाद डीडीसी ने बुधवार को भू-अर्जन से संबंधित फाइल मंगवाकर बातचीत की बात कहीं थी। लेकिन बुधवार को प्रशासन द्वारा वार्ता की कोई पहल नहीं की गई। जो महान स्वतंत्रता सेनानी व बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डा श्रीकृष्ण सिंह की कर्मभूमि एवं ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह स्थल के प्रति जिला प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। महासचिव राजीव कुमार ने बताया कि 5 मई 2012 को गढ़पुरा पहुंच कर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भूमि-अधिग्रहण के लिए जिला प्रशासन को राशि उपलब्ध कराने की बात कही थी, पर जिला प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का काम ही शुरू नहीं किया। वहीं 22 दिसंबर, 2013 को नमक सत्याग्रह नमन यात्रा पर गढ़पुरा नमक सत्याग्रह स्थल पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तब नमक सत्याग्रह स्मारक स्वतंत्रता संग्राम की अनमोल धरोहर बताते हुए स्मारक निर्माण करवाकर बापू सर्किट में शामिल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की बात कहीं थी। इसके लिए उन्होंने 2.68 करोड़ रुपए की लागत से भूमि-अधिग्रहण कर यहां एक भव्य स्मारक निर्माण का शिलान्यास किया था। इसके बाद भूमि अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की गई और जिला प्रशासन द्वारा प्रक्रिया शुरू करने की जानकारी दी गई। बावजूद इसके भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। नमक सत्याग्रह आंदोलन से जुड़े कुम्हासो निवासी 82 वर्षीय सोनेलाल मुखिया ने कहा कि जिन महापुरुष ने रिफाइनरी, फर्टिलाईजर, थर्मल, स्टील प्लांट, हेवी इंजीनियरिंग कारखाना, डेयरी उद्योग, रेल यार्ड, दामोदर वैली कॉरपोरेशन इत्यादि जैसे संस्थानों की स्थापना की। उस महापुरुष की कर्मभूमि व स्वतंत्रता संग्राम की अनमोल विरासत गढ़पुरा का नमक सत्याग्रह स्थल का 90 वर्षों बाद भी उपेक्षित रहना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। समिति के अध्यक्ष मथुरा सहनी ने कहा कि 21 अक्टूबर, 2014 को श्रीकृष्ण जयंती पर तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने जब भव्य स्मारक निर्माण की घोषणा की तो अचानक भूमि अधिग्रहण किए बगैर दान में मिले भूमि पर स्वीकृत नक्शा व डिजाइन के विरुद्ध एक भवन बना दिया गया और ग़लत जानकारी देकर वर्ष 2017 व 2019 में श्रीकृष्ण जयंती पर अवैध, अधूरे व त्रुटिपूर्ण निर्माण का मुख्यमंत्री के हाथों उद्घाटन का कार्यक्रम तय करवा लिया गया। लेकिन समिति ने समय रहते मुख्यमंत्री को यह जानकारी दी तो उन्होंने दौरा रद्द किया। सत्याग्रह में चौथे दिन माकपा के पूर्व विधायक राजेन्द्र प्रसाद सिंह, पूर्व विधान पार्षद उषा सहनी, श्रीकृष्ण चेतना मंच के राष्ट्रीय संयोजक व उप मेयर राजीव रंजन, माकपा के जिला सचिव सुरेश यादव, कांग्रेस नेता ब्रजेश कुमार प्रिंस, रालोसपा नेता रवीन्द्र सिंह, राजद नेता मोहित यादव, पर्यावरण साथी नीतेश रंजन, सनाउल्लाह अंसारी, धीरज कुमार, मुकेश विक्रम, रामसेवक स्वामी, रामजी पासवान, रामविलास महतो, अभिनंदन झा आदि मौजूद थे।
बेगूसराय में सत्याग्रह स्थल पर उपस्थित लोग।
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