वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में आगामी बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करने की योजना विश्वविद्यालय प्रबंधन बना रहा है। कुलसचिव श्यामानंद झा ने बताया कि कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर यह ठाेस कदम उठाया गया है। सरकार ने सेमिनार सहित अन्य कार्यों को संचालित नहीं करने की गाइडलाइन जारी की है। अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने पत्र जारी करते हुए सरकारी एवं निजी विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, कोचिंग संस्थान को 31 मार्च तक बंद करने का आदेश जारी किया है। इन सभी बिंदुओं को देखते हुए निर्णय लिया गया है कि प्राचार्य की बैठक सहित अन्य बैठक में भोजपुर, बक्सर, रोहतास एवं कैमूर जिले से अधिकारियों को नहीं बुलाया जाए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही मुद्दों पर चर्चा कर ली जाए। गौरतलब हो कि कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव को ले विश्वविद्यालय शिक्षक एवं कर्मचारी संघ कार्य का बहिष्कार करता रहा है। शिक्षक संघ ने कुलपति प्रो देवी प्रसाद तिवारी से मुलाकात कर विभाग एवं कॉलेज बंद करने की मांग की थी, परन्तु वार्ता विफल रही थी।

आईक्यूएसी की बैठक में सात कैटेरिया को पूरा करने, शिक्षकों के प्रोमोशन, अतिथि शिक्षक को योगदान को लेकर मंथन

आरा | वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (आईक्यूएसी) की बैठक हुई। अध्यक्षता कुलपति प्रो. देवी प्रसाद तिवारी ने किया। विश्वविद्यालय को नैक से बेहतर ग्रेडेशन दिलाने को लेकर मंथन हुआ। आईक्यूएसी के लिए स्थल का चुनाव कर कार्यालय बनाने पर सहमति बनी। सेल के मेंबर सेक्रेटरी डॉ हीरा प्रसाद सिंह को बनाया गया है। नैक के लिए सात कैटेरिया पूरा करने के लिए सदस्यों को टास्क सौंपने का निर्णय हुआ। शिक्षकों के प्रोमेशन के लिए स्क्रूटनी कमेटी को अपना कार्य यथावत करने को कहा गया। इसके बाद यूजीसी के गाइडलाइन पर स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर प्रोमोशन का रास्ता साफ करने का निर्णय हुआ। अतिथि को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई। यूजीसी के रेगुलेशन पर मेरिट-लिस्ट तैयार करने का निर्णय लिया गया। विज्ञापन के अनुसार जो अभ्यार्थी मापदंड पर खरा उतरेंगे, उन्हेंं ही बहाल करने पर सहमति बनी। जिन शिक्षकों का इंटरव्यू हो चुका है। उनका रोस्टर-क्लीयर होने के बाद योगदान कराने पर िनणर्य हुआ। बैठक में प्रति-कुलपति प्रो नंद किशोर साह, छात्र कल्याण अध्यक्ष डॉ केके सिंह, संकायाध्यक्ष डॉ सीएस चौधरी, डॉ गौरी प्रधान, डॉ दिवाकर पांडेय एवं डॉ अहमद मसूद सहित अन्य मौजूद थे। दूसरी तरफ, परचेज कमेटी की भी बैठक हुई।


31वीं न्यायिक सेवा प्रतियोगिता के आवेदन करने से विद्यार्थी हो रहे है परेशान, कॉलेज का प्राचार्य नहीं होने की वजह से नहीं हो पा रहा है डॉक्यूमेंट सत्यापन


डॉक्यूमेंट सत्यापन, आचरण प्रमाणपत्र, सीएलसी (कॉलेज लीविंग सर्टिफिकेट), मार्क्सशीट की त्रुटि निराकरण सहित अन्य कार्यों को लेकर महाराजा लॉ कॉलेज के विद्यार्थी कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय का चक्कर काट रहे हैं। विद्यार्थियों ने बताया कि अगस्त माह से प्राचार्य का पद रिक्त है। डॉक्यूमेंट सत्यापन सहित अन्य कार्यों के लिए कॉलेज आने पर कॉलेज प्रबंधन द्वारा कहा जाता है कि प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हुई है। हमलोग सत्यापन का कार्य नहीं करे सकते है। विद्यार्थी अंजनी एवं सबीर ने बताया 31 वीं न्यायिक सेवा प्रतियोगिता के लिए 28 मार्च तक आवेदन मांगा गया है। विश्वविद्यालय की उदासीनता की वजह से हमलोग इस फार्म को नहीं भर पा रहे है। फार्म में संस्थान के प्रमुख के द्वारा हस्ताक्षरी घोषणा पत्र मांगा जा रहा है। संस्था का बार कौंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त है कि नहीं। इसकी पुष्टि प्राचार्य के द्वारा लिखित आवेदन देकर करना है। विगत आठ माह से प्राचार्य का पद रिक्त पड़ा हुआ है। हमलोग कॉलेज एवं विश्वविद्यालय का चक्कर काटने को विवश है। हमारी फरियाद सुनने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है। वहीं एक अन्य छात्रा ने बताया कि बार कौंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए एटेंडेंस की कॉपी की मांग की जा रही है। कॉलेज प्रबंधन से मांगने पर कहा जा रहा है कि प्राचार्य नहीं है। छात्र कल्याण अध्यक्ष डॉ केके सिंह के पास भी इसको लेकर गुहार लगाया। परन्तु अब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था विश्वविद्यालय प्रबंधन के द्वारा नहीं किया गया है। गौरतलब हो कि इससे पहले भी प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर सवाल उठता रहा है। लोक अभियोजक की बहाली को लेकर विद्यार्थी परेशान होते हुए नजर आए थे।

सात माह से नहीं मिला रहा है कर्मचारियों का वेतन : कॉलेज के कर्मियों ने अपना दु:ख बयां करते हुए कहा कि अगस्त माह से हमलोगों का वेतन बंद है। होली जैसे पर्व में भी हमलोगों काे वेतन नहीं मिल सका। हस्ताक्षरी नहीं होने की वजह से कॉलेज का खाता संचालन नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से कई दिक्कते आ रही है। विगत कुछ दिन पहले ही एलएलबी सेमेस्टर वन सत्र 2018-21,सेमेस्टर फोर सत्र 2017-20 एवं सेमेस्टर छह सत्र 2016-19 का परीक्षा फार्म भरने को लेकर कॉलेज के सामने परेशानी आया था।

वीकेएसयू में एक व्यक्ति एक पद का नहीं हो रहा है अनुपालन


आरा | एक व्यक्ति एक पद का पालन करने में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय पूरी तरह से फेल होता हुआ नजर आ रहा है। कई अधिकारी दो-दो पद संभाल रहे हैं। डॉ अाभा सिंह महंथ महादेवानंद महिला कॉलेज एवं एसबी कॉलेज के प्राचार्य का पदभार संभाल रही हैं। जैन कॉलेज के प्राचार्य डॉ शैलेंद्र ओझा बीएड कॉलेज का अतिरिक्त प्रभार एवं एमवी कॉलेज बक्सर के प्राचार्य डॉ नवीन कुमार डीके कॉलेज डुमरांव का अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए हैं। इतहिास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ हीरा प्रसाद सिंह सीसीडीसी का कार्य भार देख रहे हैं। लॉ आॅफिसर डॉ कृष्ण कुमार कॉलेज इंस्पेक्टर का भी कार्य देख रहे हैं। इनके अलावा कई ऐसे व्यक्ति पर दो-दो पद है। इसकी वजह से उन अधिकारियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इधर, कुलसचिव श्यामानंद झा ने बताया कि अधिकारियों की कमी की वजह से दिक्कते आ रही है। गौरतलब हो कि एक मार्च 2012 को ही शिक्षक संघ एवं विश्वविद्यालय प्रबंधन के बीच इस बात को लेकर वार्ता हुआ था कि एक व्यक्ति एक पद का नियम सख्ती से पालन किया जाएगा।


क्या है आईक्यूएसी ?

केंद्रीय विश्वविद्यालयों, कॉलेजों व उच्च शिक्षण संस्थानों में परफॉर्मेंस (प्रदर्शन) और गुणवत्ता क्वालिटी की पड़ताल के लिए इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (आईक्यूएसी) का गठन किया जाता है। विश्वविद्यालयों में एकेडमिक (शैक्षणिक) व एडमिनिस्ट्रेटिव (प्रशासनिक) सुधार पर यह कमेटी अपना सुझाव देती है। यह कमेटी सालभर के रिसर्च वर्क का ब्योरा विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों से मांगता है। कितना रिसर्च वर्क हुआ है एवं विश्वविद्यालय की आधारभूत ढांचा की स्थिति क्या है? इन सभी चीजों का आकलन यह सेल करता है।

एक्स-सर्विस मैन के हाथों नहीं है वीकेएसयू की सुरक्षा

विवि में कार्यरत सुरक्षा गार्ड को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है। कथित तौर पर एक्स सर्विस मैन वेलफेयर एसोसिएशन के द्वारा नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालय में सुरक्षा गार्ड की जिम्मेवारी रिटायर्ड फौजी के हाथों देना था। परन्तु एजेंसी के द्वारा सिविलिन को भी सुरक्षा गार्ड में लगाया गया है। इधर, एजेंसी के धनजय सिंह ने बताया कि निविदा के समय सिर्फ रिटायर्ड फौजी को ही कार्य पर रखने का मापदंड नहीं रखा गया था। उन्होंने बताया कि पहले गनमैन को 17133 रुपए, डंडामैन को 11595 रुपए एवं सुपरवाईजर को 9226 रुपए को वेतन निर्धारित था।

महाराजा कॉलेज आरा।

वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय।



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