देश में लॉकडाउन का 17 दिन जिले वासियों के लिए सुरक्षित गुजरा। राहत की बात है कि जिले में कोरोना संक्रमण का कोई खास मामला सामने नहीं आया। खासकर कम्युनिटी संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया। इस दौरान 114 लोगों का लक्षण के आधार पर क्वारेंटाइन सेंटर और आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर जांच के लिए सैंपल भेजा गया। इनमें से 113 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आयी। एक सिलाव प्रखंड से पॉजीटिव केस मिला है। इलाज चल रहा है। एक और केस नगरनौसा से जुड़ा है। हालांकि यहां के व्यक्ति को पटना में संक्रमण हुआ था। इलाज के बाद ठीक हो चुका है। इन दोनों ही केस में अभी तक परिजनों में निगेटिव रिपोर्ट ही आयी है। मतलब साफ है कम्युनिटी संक्रमण का इन 17 दिनों में कोई मामला जिले में नहीं मिला। विम्स से 54, सदर अस्पताल से 30, जवाहर नवोदय विद्यालय राजगीर से 17 और अजंता होटल बिहारशरीफ से 13 लोगों का सैंपल जांच के लिए भेजा गया था।
जिले में संक्रमण का खतरा बना हुआ है, लोगों की परेशानी बढ़ी
114 में 113 केस निगेटिव मिलना जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए राहत की बात है लेकिन चिंता की बात यह है कि अभी भी जिले में संक्रमण का खतरा बना हुआ है। जिले को उपलब्ध करायी गयी जमातियों और विदेश से आने वाले की सूची से अभी भी 97 लोग ट्रेस नहीं हो पाये हैं। इसके अलावा बिहार के कोरोना प्रभावित दूसरे जिलों से संक्रमित लोग के आने का खतरा बना हुआ है। सूची के अनुसार तलाश हो रही है लेकिन सफलता नहीं मिल रही है। जिले में 86 जमातियों की सूची उपलब्ध करायी गयी थी। पहचान के लिए सिर्फ नाम और मोबाइल नम्बर था। अभी तक 11 लोग ही ट्रेस हो पाये हैं। 75 लोग अभी भी कहीं छिपे हुए हैं जो बड़ी चुनौती है। विदेश से आने वाले 146 लोगों की सूची में 11 लोग के परिजनों के अनुसार विदेश से आने के बाद राज्य के बाहर है। वहीं 22 लोग अभी भी दिये गये पते पर नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इन 11 लोग के परिजनों को भी यह नहीं मालूम कि वह कहां रह रहे हैं। वहीं 22 लोगों का पता पर नहीं मिलना पासपोर्ट के वेरीफिकेशन पर भी सवाल उठा रहा है।
मरीजों की संख्या में आयी है कमी
लॉक डाउन के बाद सदर अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हुई है। ओपीडी सेवा बंद होने के कारण मरीजों की संख्या में काफी कमी आयी है। खासकर एएनसी बंद होने के कारण प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं की संख्या कम हुई है। सामान्य दिनों में प्रतिदिन 25 से 35 महिलाएं आती थी। अभी मुश्किल से 10-15 महिलाएं ही आ रही है। ओपीडी में प्रतिदिन 400 से 500 लोगों का इलाज होता था। अभी मुश्किल से 100-125 लोग आ रहे हैं। शिशु विभाग में भी मुश्किल से 30-40 का ही इलाज हो पा रहा है। ईएनटी, आई, आर्थो में एक भी मरीज नहीं आ रहे हैं। सुबह 10 बजे के बाद अस्पताल में सन्नाटा पसर जाता है। कोरोना को लेकर एम्बुलेंस भी समय पर सदर अस्पताल में नहीं लग पाता है।
80 प्रतिशत लोग क्वारान्टीन से मुक्त
सीएस डाॅ. राम सिंह ने बताया कि बाहर से आने वाले करीब 10 हजार लोगों को जिला से लेकर पंचायत तक क्वारान्टीन में रखा गया था। इनमें से 80 प्रतिशत लोगों में कोई लक्षण नहीं मिलने पर वापस घर भेज दिया गया है। शेष 20 प्रतिशत लोगों की 14 दिन तक मॉनिटरिंग हो रही है। यदि इनमें इस दौरान कोई लक्षण दिखता है तो आइसोलेशन में रखा जायेगा। हालांकि क्वारान्टीन से मुक्त किये गये लोगों पर भी नजर रखी जा रही है।
सोशल डिस्टेंसिंग में ली जा रही एनसीसी कैडेट की मदद
एनसीसी कैडेट भी कोरोना वारियर्स की भूमिका में हैं। सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने में शहर के विभिन्न स्थानों पर इनका उपयोग किया जा रहा है। भीड़-भाड़ वाले जगहों पर इनकी ड्यूटी लगायी गयी है।
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