लॉकडाउन- 2 के दौरान बिहार में श्रमिकों को आजीविका का साधन मुहैया कराने के लिए ग्रामीण इलाकों में मनरेगा से काम शुरू हो गया है। गुरुवार को पूरे राज्य में दो लाख 77 हजार श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया गया। इनमें से 1 लाख 25 हजार श्रमिक ऐसे हैं, जो लॉकडाउन की वजह से दूसरे प्रदेशों से बिहार लौटे हैं। अब पूरे राज्य में ‘काम मांगो अभियान’ चलाकर पंचायत स्तर पर मनरेगा श्रमिकों के लिए जॉब कार्ड बनाया जाएगा।
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि लॉकडाउन टू की स्थिति में मनरेगा योजना के तहत बिहार के ग्रामीण इलाकों में कुछ शर्तों के साथ काम शुरू करने की इजाजत दी गई है। काम मांगो अभियान के तहत पंचायत रोजगार सेवक ग्रामीण इलाकों में घूम-घूम कर काम करने के इच्छुक लोगों से आवेदन लेंगे। विभाग ने सभी डीएम और डीडीसी को व्यक्तिगत लाभ वाली योजनाएं, जैसे- प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण वृक्षारोपण पौधशाला छोटे तालाब का निर्माण उड़ाही जल संचयन संरचना का निर्माण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कराने का आदेश दिया है। इसके अलावा जल-जीवन-हरियाली योजना से संबंधित वैसी सभी स्कीमों पर भी काम तुरंत शुरू कर दिया जाएगा, जिसे ग्राम सभा से मंजूरी मिलचुकी है।

पंचायत स्तर पर खुलेंगे अस्थायी आधार केंद्र
मनरेगा के तहत निबंधित जिन श्रमिकों के आधार लिंकिंग में परेशानी न हो, इसके लिए पंचायत स्तर पर ही अस्थाईआधार केंद्र खोलकर आधार कार्ड निर्माण और आधार लिंकिंग की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
कार्यस्थल पर साबुन-पानी और विश्राम शेड
हर कार्यस्थल पर मनरेगा श्रमिकों के लिए साबुन, हाथ धोने के लिए पानी, पेयजल और विश्राम शेड की व्यवस्था रहेगी। काम कर रहे मजदूरों के बीच आपस में कम से कम 2 मीटर की दूरी रखी जाएगी। सभी श्रमिकों को जीविका समूह द्वारा तैयार किया गया मास्क दिया जाएगा।

भुगतान में देरी करने वालों पर कार्रवाई
ऐसे श्रमिकों का एफटीओ जनरेट करते हुए समय सीमा के भीतर उनकी मजदूरी खाते में भेज दी जाएगी, ताकि रोजी-रोटी की समस्या खड़ी ना हो। अगर मजदूरी के भुगतान में दिक्कत हुई तो संबंधित मनरेगाकर्मियों और पदाधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।



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Work started under MNREGA in Bihar, 2.77 lakh workers got employment

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