शहरी अर्थव्यवस्था की एक विशेषता फुटपाथ विक्रेता का व्यवसाय है। शहरी गरीब अपने व्यापार व व्यवसाय के लिए शहरी क्षेत्र में वहन करने योग्य कीमत या किराया पर एक निश्चित स्थान पाने में असमर्थ हैं। इसलिए अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए फुटपाथ पर सामान विक्रय करने को बाध्य हैं। यह असंगठित क्षेत्र के श्रम संख्या का महत्वपूर्ण इकाई है। रोज कमाना व खाना इनकी नियति है। इनमें से कइयों की यह स्थिति है कि जिस दिन दुकान बंद, उस दिन रसोई बंद। लेकिन कोरोना त्रासदी ने उनके जीवन को ही लाॅक डाउन कर दिया है। लाॅक डाउन होने से उनकी दुकानें 22 मार्च से लगातार बंद हैं। अब उनके सामने खाने की समस्या उत्पन्न होने लगी है। कुछ फुटपाथी दुकानदार केवल इसी बिक्री पर निर्भर थे, उनके गुजर बसर में परेशानी आने लगी है। बचत कुछ दिन का काम करेगा, आगे का क्या होगा सोच कर दिक्कत हो रही है। कहीं हाथ फैलाना भी अच्छा नहीं लगता।
इन जगहों पर हैं दुकानें
महाबोधि मंदिर से जयप्रकाश उद्यान के किनारे 160, बुद्ध मार्केट 160, दोमुहान, 50, माया सरोवर से जापानी मंदिर तक 100, गांधी चैक 50 दुकानें हैं। इसके अलावा बिरला धर्मशाला के निकट, नोड एक, नप कार्यालय के निकट, होटल तथागत के निकट सहित लगभग 700 फुटपाथी दुकानें हैं।
व्यवसाय पर पड़ा भारी प्रभाव
कोरोना त्रासदी के इस मौके पर सामुदायिक सहयोग का प्रयास दिख रहा है। दुकानदार निर्मल कुमार का कहना है, कई ऐसे परिवार हैं, जिनका जीवन मुश्किल में है। आपस में भी हमलोग सहयोग कर रहे हैं। जयप्रकाश उद्यान के निकट के बेल शर्बत व्यवसायी सुरेंद्र साव ने बताया, लाॅक डाउन के पहले लगभग 25 हजार रुपए का बेल खरीद कर रखा था। अब पता नहीं कब तक यह चलेगा। उसके खराब होने की भी संभावना है।
इन वस्तुओं की हैं दुकानें
ज्यादातर दुकानें टूरिज्म में डिमांड पर आधारित हैं। हस्तशिल्प, पत्थर की मूर्तियां व अन्य सामान, काष्ठ शिल्प, धातु की मूर्तियां, रेडिमेड कपड़े, हैंडलूम वस्त्र, शंख, तिब्बती शिल्प, मोती माला, चाभी का रिंग, खिलौने, इलेक्ट्रानिक सामान, जूस व शर्बत की दुकानें सहित अन्य हैं।
सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग
बोधगया फुटपाथी दुकानदारों के नेता गुलाबचंद्र प्रसाद व शकील अख्तर ने बताया कि फुटपाथ विक्रेताओं के जीविका के संरक्षण के लिए संविधान के अनुच्छेद 39 के खंड क व ख के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार ने फुटपाथ विक्रेता आजीविका का संरक्षण व पथ विक्रय का विनियमन अधिनियम 2014 पारित किया है। इसके तहत फुटपाथी विक्रेताओं के हित के संरक्षण का प्रावधान हैं। इसी अधिनियम के तहत सरकार आर्थिक पैकेज दें व उनकी जीवनयापन सुनिश्चित करें। इन्हें जीविका भत्त मिलना चाहिए, ताकि खुद व परिवार के लिए भोजन की व्यवस्था कर सकें।
ठेले वालों की जिंदगी पर आफत, मदद की आस
ठेले पर नाश्ता व चाय बेचने वालों की जिंदगी में ठहराव आ गई है। दुकानों के बंद रहने, निर्माण काम बंद रहने, वाहनों का परिचालन बंद रहने से उनकी जिंदगी भी बंद हो गई है। चाय दुकानों की भी यही स्थिति है। शाम में चाउमीन आदि बेचनेवाले वाले भी घर बैठ गए हैं। समाज का यह तबका, दिनभर की कमाई पर ही चूल्हा जलाता है।
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