भागलपुर | कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए बंद ट्रेनों के बाद भागलपुर के रेल कर्मचारियों ने बेडरोल के बेडशीट से न सिर्फ मास्क बनाए, बल्कि स्प्रिट से सैनिटाइजर भी तैयार किया है। इसका इस्तेमाल पूरे पूर्व रेलवे जोन में होगा। कर्मचारियों की मेहतन देख मालदा डिवीजन ने भागलपुर को और ज्यादा सैनिटाइजर बनाने के लिए शनिवार को स्पेशल ट्रेन से स्प्रिट भागलपुर भेजा। कई अन्य सामग्री भी भेजी है। भागलपुर के कैरिज एंड वैगन डिपार्टमेंट स्प्रिट से तैयार सैनिटाइजर को छोटी बोतलों में पैक कर भागलपुर, मालदा और कोलकाता जोन को सप्लाई किया जाएगा।


1939 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तोप के गोले बनाने के लिए प्रसिद्ध जमालपुर रेल कारखाना अब कोरोना से चल रहे युद्ध में भी खड़ा हो गया है। यहां तेजी से वेंटिलेटर, सैनिटाइजर और अस्पतालों के लिए बेड बनाए जा रहे हैं। पहले चरण में 500 लीटर सैनिटाइजर बनाए जाएंगे। मुंगेर कोरोना संक्रमण के लिए हॉट स्पॉट बना हुआ है। यहां जरूरी मेडिकल उपकरणाें व सैनिटाइजर की कमी है। ऐसे में जमालपुर रेलवे वर्कशाॅप के कर्मचारियों ने वेंटिलेटर, सैनिटाइजर और बेड की कमी दूर करने का बीड़ा उठाया है। पश्चिम बंगाल के अंडाल वर्कशॉप की तर्ज पर जमालपुर के दो दर्जन रेलकर्मियों ने इसे बनाना भी शुरू कर दिया है। ताकि वर्कशॉप में काम करने वाले रेलकर्मियों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सैनिटाइजर दिए जा सके, जबकि जिला प्रशासन ने शहर के मुख्य रेलवे अस्पताल, रेलवे हॉस्टल समेत रेलवे यूनिट में बनाए गए होम आइसोलेशन में संदिग्धाें के लिए उक्त सामग्री उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं।

सीपीटीएम ने ली जानकारी

पूर्व रेलवे कोलकाता के चीफ पैसेंजर एंड ट्रैफिक मैनेजर (सीपीटीएम) ने शनिवार को रेल अफसरों से भागलपुर में खड़ी ट्रेनों की जानकारी ली। सीपीटीएम को बताया गया कि विक्रमशिला एक्सप्रेस की दो रैक की धुलाई हो गई है। बोगियों में केमिकल स्प्रे कराने के बाद वाशिंग पीट पर खड़ी है। एक रैक शिवनारायणपुर स्टेशन पर है। दादर की दो बोगियां भी यार्ड में हैं। इसके अलावा वीकली की पूरी रैक धूल चुकी हैं। यार्ड में जगह न मिलने पर जनसेवा को बरियारपुर, दानापुर इंटरसिटी को धौनी, वनांचल एक्सप्रेस की दो रैक को लैलख व सबौर में खड़ी की गई है।

{2 दर्जन से अधिक कारखाने के कुशल कारीगर रेलकर्मियाें काे दी जिम्मेदारी

{पश्चिम बंगाल स्थित अंडाल वर्कशाॅप की तर्ज पर शुरू हुआ है काम

{500 लीटर से अधिक सैनिटाइजर पहले चरण में बन रहा है

बेडरोल के चादर से बनाए 700 मास्क

रेल अफसरों ने बताया, रोज साहिबगंज तक चलने वाली स्पेशल स्टाफ ट्रेन से मालदा से भेजे साामान मिल गए हैं। कैरीज एंड वैगन डिपार्टमेंट के इंजीनियरों ने बताया, पहले कैरिज डिपार्टमेंट के महिला कर्मियों के बनाए मास्क डिवीजन व जोन भेजे थे। यह सीनियर अफसरों को पसंद आए। सीनियर सेक्शन इंजीनियर अख्तर हुसैन ने बताया कि लॉकडाउन से ट्रेन बंद होने पर स्टाफ के पास काम नहीं था। डिवीजन के सीनियर्स ऑफिशियल के मौखिक आदेश पर पहले साफ चादरों से मास्क बनाए। महिला स्टाफ सोनी कुमारी ने करीब 700 मास्क तैयार किए।

कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रेल मंत्रालय के आदेश पर भागलपुर में आइसोलेटेड बोगियां बननी शुरू हो गई है। शनिवार को यार्ड में ऐसे पांच डिब्बे तैयार किए गए। 10 बोगियां और बनाए जाने हैं। कैरीज एंड वैगन डिपार्टमेंट को डिवीजन ने 15 बोगियों को आइसोलेटेड करने की जिम्मेदारी दी।

तेजी से चल रहा है निर्माण कार्य

वर्कशॉप जमालपुर में पहले चरण में सैनिटाइजर एवं वेंटिलेटर के साथ अस्पतालाें के लिए बेड बनाए जा रहे हैं। कारखाना में कार्यरत कर्मियों को कोरोना के संक्रमण को देखते हुए रेलकर्मियों द्वारा सैनिटाइजर एवं उपलब्ध करवाया जाएगा।
पीके मांझी, डिप्टी क्रेन इंचार्ज, जमालपुर

यार्ड में पांच बोगियों का आइसोलेशन वार्ड बन कर तैयार है।

इन चार पहल से जानिए, भागलपुर के रेल कर्मचारियों ने किस तरह कोरोना वायरस पर जीत की रखी है नींव


1939 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान यहां बने थे गोले, अब बेड भी बना रहे

कोरोना पर जीत के लिए मालदा डिवीजन और जमालपुर रेल कारखाने ने संभाला मोर्चा

87 करोड़ के क्रेन बना दिए थे सिर्फ 7 करोड़ में

1937 से 1945 के बीच द्वितीय विश्वयुद्ध के समय मुंगेर के रेलवे कारखाना में ही तोप का गोला बना था। उसके बाद 1995 में देश में जर्मनी से 140 टन का क्रेन 87 करोड़ में खरीदा था, लेकिन यहां के कुशल कारीगरों ने 1995 में 7 करोड़ से 140 टन का क्रेन बनाया। तब से मुंगेर में हर साल 10 क्रेन बनाया जा रहा है। इसे देश के साथ विदेशों में भी भेजा जाता है।

कोरोना मरीजों के लिए 5 बोगियां आइसोलेटेड, 10 और बनेंगी

ऑटोमैटिक पैडल वाॅश बेसिन भी हुआ तैयार


कैरीज एंड वैगन डिपार्टमेंट के कर्मचारियों ने ऑटोमेटिक पैडल वाॅश बेसिन भी तैयार कर लिया है। इस बेसिन के प्रयोग में कहीं भी हाथ लगाने की जरूरत नहीं होती। एक पैर से पैडल दबाने पर पानी गिरने लगता है तो दूसरे पैर से दूसरा पैडल दबाने पर साबुन का लिक्विड गिरता है। बिना हाथ लगाए ही मशीन से हाथ धोए जा रहे हैं।



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