कोरोना संक्रमण के प्रसार के ट्रेंड को समझने और इसकी व्यापकता की निगरानी को लेकर जल्द ही जिले में जनसंख्या आधारित सीरो सर्वेक्षण का काम शुरू किया जाएगा। इसकी जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डा. राकेश चन्द्र सहाय वर्मा ने बताया कि जनसंख्य आधारित सीरो सर्वेक्षण को लेकर स्वास्थ्य विभाग एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र अन्य मुख्य हितधारकों सहित स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर सीरो सर्वेक्षण किया जाएगा। कहा कि निगरानी इकाई स्थापित करने के लिए प्रत्येक चयनित जिले के 10 स्वास्थ्य केन्द्रों का चयन किया जाएगा। इसमें 6 सरकारी और 4 निजी स्वास्थ्य केन्द्रों को शामिल किया जाएगा। जारी गाइडलाइन में मंत्रालय ने बताया है कि नमूनों का परीक्षण एक बार में 25 नमूनों के पुल में किया जाएगा। साथ ही इन सभी नमूनों का परिणाम केवल निगरानी के उद्देश्य से किया जाएगा। बताया कि नाक और गले का स्वैब्स आरटी पीसीआर के लिए लिए जाएगा। ज्ञात हो कि आरटी पीसीआर टेस्ट मुख्यतः कोरोना संक्रमण की पुष्टि के लिए किया जाता है। नाक और गले के स्वैब्स के अलावा, एलिसा परीक्षण के लिए आईजीजी एंटी बाॅडी का पता लगाने के लिए रक्त के नमूने भी एकत्रित किए जाएंगे। निगरानी के उद्देश्य के लिए अगले दौर में आईजीजी एलिसा आधारित सीरम नमूनों का परीक्षण आरटी पीसीआर आधारित हाेगा।
प्रत्येक सप्ताह 200 से 800 सैंपल किया जाएगा एकत्रित
बताया गया कि सीरो सर्वेक्षण को संपादित करने के लिए दो तरह की आबादी समूहों का चयन किया गया है। इसमें कम जोखिम वाली आबादी में आउटडोर मरीज, गर्भवती महिला और अधिक जोखिम वाली आबादी में संक्रमितों की देखभाल और उपचार में जुटे स्वास्थ्य कर्मी को शामिल किया गया है। जिले की अधिक जोखिम वाली आबादी से प्रति सप्ताह 100 से 400 सैंपल एकत्रित किया जाएगा। वहीं कम जाेखिम वाली आबादी के आउटडोर मरीजों से प्रति सप्ताह 50 से 100 सैंपल और गर्भवती महिलाओं से भी 50 से 100 सैंपल एकत्रित किया जाएगा। इस तरह जिले में संक्रमण की निगरानी के लिए प्रति सप्ताह में कुल 200 से 800 सैंपल एकत्रित किया जाएगा। सिविल सर्जन ने बताया कि ओपन डाटा किट प्लेटफाॅर्म की सहायता से जनसांख्यिकी विशेषताओं पर आधारित आंकड़े विशेष रूप से डिजाइन किए गए मानक डाटा कलेक्शन फॉर्म में एकत्रित किए जाएंगे। सीरो-सर्वेक्षण के तहत संग्रहित किए गए आंकड़ों के मानक संकेतक प्रारूपों का उपयोग करके कार्रवाई के लिए इसका स्थानीय रूप से विश्लेषण किया जाएगा। इसके बाद जगह, व्यक्ति और समय विश्लेषण के लिए संकेतक भी बनाए जाएंगे। साथ ही आईसीएमआर, स्वास्थ्य एवं परिवार विकास मंत्रालय द्वारा आंकड़ा संग्रहण सहित आंकड़े जारी करने संबंधी निर्णय लिया जाएगा।



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सदर अस्पताल, सीतामढ़ी।

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