कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान देश के विभिन्न राज्यों प्रवासियों के जिले में आने का सिलसिला जारी है। यहां पहुंचने पर थर्मल स्क्रीनिंग के बाद चिन्हित किए गए शहरों से आने वाले लोगों को पंचायत तथा प्रखंड स्तरीय क्वारेंटाइन सेंटरों में 14 से 21 दिन तक क्वारेंटाइन की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा किया गया है। जिले के विभिन्न क्वारेंटाइन सेंटरों में रखे गए लगभग 50 हजार से अधिक प्रवासियों में से 30 हजार सरकार के नियमानुसार क्वारेंटाइन में रहने के बाद घर वापस लौट गए है।
सासाराम प्रखंड के 29 क्वारेंटाइन सेंटरों में 2921 लोगों का पंजीयन हुआ था, जिसमें 962 प्रवासी क्वारेंटाइन अवधि को पूरा कर घर लौट गए है। जबकि 1286 लोग अभी भी क्वारेंटाइन किए गए है। करगहर में कुल 23 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए है। जिसमें 3473 श्रमिकों को रखे गए थे। रविवार को अपनी अवधि पूरी कर 133 श्रमिक घर लौट गए इसके साथ ही अब तक कुल 1524 श्रमिक घर लौट गए। अभी भी 1949 श्रमिकों को क्वारेंटाइन में रखा गया है। नोखा के 119 क्वारेंटाइन सेंटरों में रखे गए 4130 प्रवासियों में से 1624 लोगों को घर भेज दिया गया है।
बिक्रमगंज अनुमंडल में 25115 प्रवासियों को रजिस्ट्रेशन कराया गया था
बिक्रमगंज अनुमंडल में 25115 प्रवासियों को रजिस्ट्रेशन विभिन्न क्वारेंटाइन सेंटरों में किया गया। जिसमें 10847 लोग आज तक क्वारेंटाइन सेंटरों से घर वापस लौट गए है। कोचस प्रखंड में 3220 में से 2290 प्रवासी घर लौट गए। वही 910 श्रमिक अभी विभिन्न सेंटरों पर क्वारेंटाइन है। अबतक कोचस में कुल स्वाब की जांच 250 के करीब जिसमे 37 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले । 18 घर लौटे ,वही 19प्रवासी जमुहार सेन्टर में भर्ती है । प्रखंड में कुल 54 ग्रामीण क्वारेंटाइन सेन्टर के साथ 12 प्रखण्ड स्तर के सेन्टर बनाये गए है।
दिनारा प्रखंड के 83 क्वारेंटाइन केन्द्रों पर कुल 6306 प्रवासी में अवधि पूरा करने के बाद 3843 प्रवासी अपने घर लौट चुके है। राजपुर में 41क्वारंटाइन सेंटर पर कुल 1173 प्रवासी श्रमिकों ने अवधि पूरी कर घर वापसी कर ली है। तिलौथू प्रखण्ड में अभी कुल 43 क्वारेंटाइन सेंटर हैं जिनमें कुल 1954 प्रवासियों को क्वारेंटाइन किया गया था। इनमें से 769 प्रवासी मजदूर क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर घर पहुंचे है। क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर अपने घर लौटने वाले प्रवासियों के चेहरे पर खुशी की चमक देखी गई। हजारों प्रवासी जगह के अभाव में होम क्वारेंटाइन भी हुए थे।
कहा- सरकार काम दे तो बाहर जाने का शौक नहीं
क्वारेंटाइन सेंटरों में 14 से 21 दिन तक क्वारेंटाइन में रहने के बाद जब प्रवासियों को घर जाने की छुट्टी दी जा रही थी उस वक्त अपनों से मिलने की खुशी चेहरे पर साफ झलक रही थी। प्रवासियों ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हाथों में हुनर की कहां कमी है। हुनर न होता तो प्रदेश में भी रोजगार कहां मिल पाता। हुनर है तभी तो प्रदेश में भी पूछ है। यदि सरकार गांव में ही रोजगार दे तो भूलकर भी दूसरे प्रदेश में कदम नहीं रखेंगे। सरकार उनके लिए गांव-घर में रोजगार उपलब्ध कराए। वह अपने परिवार और गांव-घर के लोगों के साथ रहना चाहते हैं। मजदूरों ने कहा कि उनके हाथों में हुनर है। बस काम की तलाश है। सरकार काम दे तो उन्हें प्रदेश जाने का कोई शौक नहीं है।
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