बेली रोड पर ललित भवन के बगल में जिस जगह हादसा हुआ वहां कई महीनों से कंक्रीट के सैकड़ों स्लैब रखे हुए हैं। निर्माण कार्य में जो मिट्टी काटी गई उसे ललित भवन के बगल में भर दिया गया। उसी मिट्टी पर सैकड़ों स्लैब बेतरतीब तरीके से एक के ऊपर एक रख दिया गया। बारिश होने और पानी पड़ते रहने की वजह से मिट्टी में नमी है। इस कारण मिट्टी के धंसने से खेल रहे बच्चों पर स्लैब गिर गया। घटनास्थल के पास बड़ी आबादी रहती है। हर शाम बच्चे उसी स्लैब के आसपास खेलते हैं। लेकिन निर्माण कंपनी के कर्मचारियों ने उसे बैरिकेट नहीं किया।

किसी के आने-जाने पर पाबंदी नहीं लगाई। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें शाम होने के बाद रोज की तरह बच्चे अपने घरों से निकलकर स्लैब के पास खेलने चले गए। किशु, करण और साहिल स्लैब पर चढ़कर खेलने लगे। कुछ बच्चे नीचे खेल रहे थे। नमी होने की वजह से स्लैब स्लीप किया और अचानक तीनों बच्चे स्लैब के नीचे दब गए। लोगों ने बताया कि मिट्टी कुछ महीने पहले ही भरा गया है। ठीक से मिट्टी बैठी भी नहीं है। इसी कारण इतना बड़ा हादसा हुआ।
इकलौते बेटे के खोने का दर्द
ललित भवन के पीछे की झुग्गी बस्ती में रात भर चीख-पुकार मचती रही। एक ही मोहल्ले के तीन घरों का चिराग बुझ गया था। गणेश ड्राइवर हैं। उनका बेटा करण सबसे बड़ा था। इसके बाद एक बेटा और एक बेटी है। वहीं किशु के पिता भी ड्राइवर हैं और उनको भी दो बेटा और एक बेटी है। दोनों का घर आसपास ही है। वहीं साहिल का घर सबसे पहले है। घटना के बाद से मोहल्ले में मातम पसरा है। महिलाओं की चीखपुकार से पूरा माहौल गमगीन हो गया।
मो. इदरीश मूलरूप से वैशाली के रहने वाले हैं। वे अररिया के एक विधायक के गैराज में रहकर पुनाईचक में ही आयरन करने का काम करते हैं। तीन बेटी के बाद उनको एक बेटा हुआ था। घर के पास ही उनके एक संबंधी ने कहा कि साहिल के लिए इन्होंने कितनी मिन्नतें की थीं। आज घर का चिराग ही चला गया। साहिल के अम्मी-अब्बू को तो होश ही नहीं है। वे बार-बार बेहोश हो रहे हैं।
जिस स्लैब को सौ लोग भी नहीं हटा पाए, उससे दबकर कैसे बचते बच्चे
हम लोग किशु और करण के पड़ोसी हैं। घटना के वक्त हम थोड़ी दूरी पर ही बैठे थे। हम लोग भी पास में बैठे थे। कई लोग आपस में गप कर रहे थे, तभी करण और किशु भूंजा जेब से निकालकर खाते हुए आए। हमने पूछा तो कहा कि अंकल खेलने जा रहे हैं। लगभग आधा घंटा हुआ होगा कि बच्चों के चीखने की आवाज आई। हमलोग भागकर गए तो देखा कि तीनों दबे हुए हैं। एक बच्चे के रोने की आवाज आ रही थी।

दो तो रो भी नहीं रहे थे। हम लोगाें ने स्लैब को हटाने का प्रयास किया लेकिन हट नहीं रहा था। बांस ढूंढ़कर लाया गया। लगभग सौ लोग कई बांस लेकर स्लैब को हटाने लगे। घर वाले चिल्ला रहे थे। कोई मदद को नहीं आया। कुछ देर बाद पुलिस आई तब जेसीबी से स्लैब हटा। बच्चों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तीनों तो यहीं खत्म हो गए थे। बड़ी लापरवाही है। हम मजदूर हैं। इसी तरह मरते रहेंगे।(जैसा कि उसी मोहल्ले के रहने वाले विवेक और राजा ने बताया)
बेली रोड पर लाेहिया पथ चक्र के पास 22 माह में तीसरा बड़ा दर्दनाक हादसा
बेली राेड पर बन रहे लाेहिया पथचक्र और इसके आसपास पिछले 22 माह में यह तीसरा बड़ा हादसा है। इससे पहले 29 जुलाई 2018 काे लाेहिया पथ चक्र के पास भारी बारिश के बाद सड़क धंस गई थी। सड़क धंसने के बाद उसका जायजा लेने के लिए सीएम नीतीश कुमार व मंत्री नंदकिशाेर यादव भी पह़ुंचे थे। भारी बारिश व नाला का पानी जाम हाेने से यह हादसा हुआथा। उस वक्त ललित भवन के पास बन रहे पुल की पाइलिंग हाे रही थी।

3 जुलाई 2019 की देर रात काे भी इसी पुल के निर्माण में लगे जेसीबी पर लदा छड़ बिहार पर्यटन की बस में घुस गया था। यह हादसा उस वक्त हुआथा जब जेसीबी छड़ लादकर आगे-पीछे कर रहा था। इस घटना में चालक माे. इम्तियाज बुरी तरह घायल हाे गया था। एक-दाे यात्री भी जख्मी हुए थे। यात्रियाें ने घटना के बाद जमकर हंगामा किया था। बस पटना के आर. ब्लाॅक से खुली थी और भभुआजा रही थी।



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ललित भवन के पास हादसे में साहिल की माैत के बाद विलाप करते हुए मां और परिजन।

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