अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सहरसा के गायत्री शक्तिपीठ सहित अन्य जगहों पर अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए। कोरोना संक्रमण को लेकर इस वर्ष कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हुआ। लेकिन सार्वजनिक स्थलों सहित घरों में लोगों ने योग कर अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया। गायत्री शक्तिपीठ में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ट्रस्टी डॉ अरुण कुमार जायसवाल ने घोषणा किया कि गायत्री शक्तिपीठ सहरसा में योग विद्या का डिप्लोमा कोर्स जल्द ही शुरू होगा। प्रो. रामनरेश सिंह के अथक प्रयास से यह संभव हुआ है।
प्रो रामनरेश सिंह ने बताया भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के एकेडमी काउंसिल सिंडिकेट और सीनेट ने गायत्री शक्तिपीठ सहरसा में योग डिप्लोमा कोर्स शुरू करने के दिए गए प्रस्ताव को पारित किया है। पूर्व कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय के मार्गदर्शन में यहां तक कार्य होचुका है। डाॅ. अरूण कुमार जायसवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय से कुछ ही दिनों में टीम निरीक्षण के लिए आने वाली है। राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद योग डिप्लोमा कोर्स में नामांकन शुरू हो जाएगा।
इस कॉलेज के खुलने से योग चिकित्सक तैयार होंगे, जो विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में नौकरी पाने के साथ ही देश और विदेश में योग को आगे बढ़ाएंगे। गायत्री शक्तिपीठ प्रांगण में खुलने वाला यह कॉलेज सहरसा ही नहीं पूरे कोसी क्षेत्र का पहला योग संस्थान होगा। इस योग विद्या केंद्र में आने वाले समय में योग पर अनुसंधान भी होगा।
योग के जनक हैं भगवान शिव
योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में डाॅ. जायसवाल ने कहा योग के जनक भगवान शिव हैं। योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि ने इस राजयोग को व्यवस्थित स्वरूप प्रदान किया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पांड्या यानि गायत्री परिवार के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र संघ में विश्व धरोहर के रूप में योग को मान्यता मिली।
तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डॉ चिन्मय पांड्या को सौंपा था। जिन्होंने 3 दिनों तक संबंधित सदस्य देशों के प्रश्नों और आशंकाओं का सटीक उत्तर दिया। तब विश्व धरोहर के रूप में योग को मान्यता मिली। किसी भी एक देश की असहमति पर मान्यता नहीं मिल सकती थी।
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