केंद्र सरकार की पहल पर प्रवासी मजदूरों और अन्य राज्यों में फंसे लोगों को बिहार लाने के बाद उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है। बिहार सरकार और जिला प्रशासन की ओर से सेंटर में रह रही महिलाओं और पुरुषों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। बाराचट्टी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी पंकज कुमार भी बाराचट्टी के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में बने क्वारेंटाइन सेंटर में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से उन्हें कई तरह के प्रशिक्षण दे रहे हैं।
महिलाओं को जीविका संस्था से जुड़ने के अलावे मशरूम की खेती करने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सूरत और मुंबई से आई महिला मजदूर पूजा कुमारी और कंचन अनिल मौर्या ने कहा कि वे लोग बाहर में कार्य करते थे। लॉक डाउन के कारण उनका काम बंद हो गया। जिसके बाद वे लोग बाराचट्टी लौटी हैं। जहां उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है। विशेषज्ञों की ओर से कई तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं. मुख्य रूप से मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जो सराहनीय पहल है।
मजदूरों ने बताया कि इससे हमलोग आत्मनिर्भर बनेंगे। इसके अलावा सिलाई, कढ़ाई और बांस की पेंटिंग का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अगर हमलोगों को यहां काम मिल जाए और घर परिवार चलाने में कोई समस्या ना हो, तो हमलोगों किसी दूसरे राज्य में काम करने नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की तरफ से अच्छी व्यवस्था की गई है।
आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास:बाराचट्टी के प्रखंड विकास पदाधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि महिला मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके मद्देनजर ट्रेनर की ओर से मशरूम की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं कृषि विभाग की ओर से और भी कई तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। साथ ही महिलाओं को जीविका से जुड़ने के लिए भी कहा गया है। जीविका की टीम भी महिलाओं को कई तरह की प्रशिक्षण दे रही हैं।
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