पटना महानगर के साथ अपने गृह जिला मुख्यालय हाजीपुर को डिमांड के अनुरूप अकेले दूध आपूर्ति करने में सक्षम राघोपुर में अब दूध के बजाए कच्ची देशी शराब की नदियां बहती है। दुग्ध उत्पादक एवं कृषि के लिए पहचाना जाने वाला राघोपुर आज देशी शराब का उत्पादन व बिक्री का मुख्य केंद्र बन गया है। हालांकि, दो दशक पूर्व अनाज के तरह सघन रूप से गांजा की खेती के लिए भी राघोपुर बदनाम रहा है। पीपापुल बन जाने से राघोपुर तक पहुंच का मार्ग सुलभ हो जाने से गांजा की खेती बंद हो गई।

लॉकडाउन के सवा दो माह की अवधि में तस्करी कर दूसरे राज्यों से लाई जाने वाली विदेशी शराब की सप्लाई लाईन कट जाने से पियक्कड़ देसी शराब पर टूट रहे हैं। देसी शराब की डिमांड व खपत बढ़ जाने से खासकर राघोपुर के दियारा इलाके में एक हजार से ज्यादा शराब की भट्ठियां लग गई हैं। यह कारोबार करने वाले पुलिस व एक्साइज विभाग के लिए कामधेनु साबित हो रहे हैं। बस रिकार्ड ठीक करने के लिए यदाकदा छापामारी होती है।

ये इलाके शराब निर्माण के लिए बने हब
प्रखण्ड में दियारा के नदी किनारे जंगलों एव बालू पर देशी शराब बनाई जा रही है। प्रखण्ड के जाफराबाद , जहांगीरपुर , सुकुमारपुर बहरामपुर, पुरूषोत्तमपुर, परोहा, बहरामपुर सहित प्रखण्ड के क्षेत्रों में लगभग 1000 की संख्या में शराब भट्ठियां चलाई जा रही है। ग्रामीण सूत्रों के अनुसार चल रही शराब भट्ठी से प्रतिदिन हजारों लीटर शराब का उत्पादन किया जा रहा है। शराब बेच कर कितने माफिया करोड़पति हो गए।

चार थानों की नाक के नीचे हो रहा कारोबार
यह सही है कि भौगोलिक स्थिति देशी शराब व गांजा के अवैध कारोबार के लिए राघोपुर माफियाओं के लिए मदरलैंड साबित हो रहा है। तीन ओर से गंगा नदी से घिरा हुआ टापूनुमा प्रखंड है राघोपुर। विकट भौगोलिक स्थिति को देखते हुए, कानून, विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हाजीपुर की तरफ से गंगाब्रिज, पटना वाया बाढ-मोकामा एनएच की ओर से रुस्तमपुर ओपी एवं राघोपुर तथा जुड़ावनपुर चार थाने दिए गए हैं। पुलिस उसी विकट भौगोलिक स्थिति की दुहाई देकर शराब, गांजा के फल-फूल रहे कारोबार को रोक पाने में अपनी बेचारगी-लाचारी बता बचती चली आ रही है। अमन पसंद व कानून का पालन-सम्मान करने वाले लोगों का कहना है कि चारों थाना संयुक्त रूप से कार्रवाई करे तो दियारा में भट्ठी लगाकर शराब की चुलाई करने वाले कारोबारी चूहेदान में चूहे की तरह फंसे नजर आएंगे। सच तो यह है कि काले धंधे का साम्राज्य कायम कर रखे माफिया हर थाना के साथ एक्साइज विभाग को खुश करके रखते हैं। पुलिस की मिलीभगत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज तक भट्ठी ध्वस्त की कार्रवाई में एक भी धंधेबाज गिरफ्त में नहीं आए।

माफिया की तरक्की देख नए लोग भी आ रहे मैदान में
शराब माफियाओं की तरक्की देख कर दूसरे भी इस धंधे में कूद रहे है। लोगों का कहना है कि मोटरगाड़ी के टयूब, गैलन में साइकिल से शराब की आपूर्ति, बिक्री करने वाले वेंडर टाइप सप्लायरों का आलीशान मकान बन चुका है। कई गाड़ियां उनके पास है। हाजीपुर-पटना में कई जगहों पर प्लॉट है। उनकी तरक्की सीधे-सादे किसान, पशुपालकों के लिए गलत ही सही पर नजीर बन रही है। कृषि-पशुपालन का अपना पुराना व पुश्तैनी धंधा छोड़कर लोग शराब की भट्ठियां लगा ली है।

कई जिलों में पहुंच रही यहांबनी शराब
शराब माफियाओं ने सप्लाई नेटवर्क कई जिलों तक फैला रखा है। कहा तो यह भी जाता है कि राघोपुर के शराब माफियाओं की बादशाहत झारखंड से लेकर नेपाल सीमा तक कायम कर रखी है। चुलाई गई शराब टैंकर के जरिये दूर-दराज के जिलों तक जाता है। नदी के रास्ते नावों पर लाद कर पटना , हाजीपुर ,बाढ़ , सोनपुर इलाकों में सप्लाई की जाती है। दियर में मोटरसाइकिल पर ट्रेक्टर के टयूब में भरकर सप्लाई की जाती है।



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Raghopur able to supply milk alone to Patna and Hajipur city, now made of indigenous liquor manufacturing

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