(मधुरेश) नेताओं के आमद-खर्च का हिसाब दिलचस्प है। इस बारे में बड़ी पार्टियों का बाकायदा स्ट्राइक रेट है। पाेसे-पले नेताओं की सबसे ज्यादा आमद लोजपा को हुई। बैठे-बिठाए। जदयू, दूसरे दलों का विधायक मिलने में नंबर वन रहा। भाजपा में जितने बड़े आए नहीं, उससे ज्यादा दूसरे दलों में गए।
खास वजह टिकट की मारामारी और हर हाल में विधायक बनने की ख्वाहिश रही। एक और बड़ी बात। अबकी कई छोटे-बड़े गठबंधनों ने ऐन चुनावी मौके पर आवाजाही या बगावत की खूब गुंजाइश परोसी।
इतनी कि इधर टिकट नहीं मिला, तो उधर टहलकर ले लिए। कई पार्टियां, ‘सदस्य बनिए-टिकट लीजिए’ का सीन पेश किए रहीं, तो कांग्रेस जैसी पार्टी तक में ऐसे नमूने रहे कि नामांकन के बाद पार्टी में ज्वाइनिंग हुई। ऐसे भी ढेरों नेता रहे, जो टिकट के साथ ही आए। इन स्थितियों की एक और खास वजह बड़ी पार्टियों द्वारा अपने कुछ उम्मीदवारों को बदलना भी रहा। जो बेटिकट हुए, उनमें ज्यादातर बागी बन गए।
जिसे भाजपा-जदयू से टिकट नहीं मिला वह बंगले में घुस बन गया उम्मीदवार
इसका सबसे अधिक फायदा लोजपा को हुआ। खासकर, भाजपा-जदयू से जिसे भी टिकट नहीं मिला, वह लोजपा के बंगले में घुस गया और उम्मीदवार हो गया। लोजपा ने राजेंद्र, बेबी, उषा, रामेश्वर, इंदू कश्यप, श्वेता, राजीव कुमार ठाकुर, मनोज सिंह, विनोद तिवारी, प्रदीप ठाकुर, देव रंजन, कामेश्वर, तारकेश्वर सिंह (भाजपा), ददन, भगवान, रणविजय (जदयू) को टिकट दिया।
9 विधायक व 5 विधान पार्षद जदयू खेमे में गए
चुनावी पीक से पहले जदयू में 9 विधायक, 5 विधान पार्षद आए। ये हैं-पूर्णिमा, सुदर्शन, प्रेमा, अशोक, जयवर्द्धन, वीरेंद्र, चंद्रिका, महेश्वर, फराज, दिलीप, रणविजय, कमरे, संजय तथा राधाचरण । विधायकों में सिर्फ प्रेमा चौधरी को टिकट नहीं मिला।
राजद की आवक भी ठीक, कुशवाहा से दो झटके, कांग्रेस की कुछ खास नहीं
राजद की आय ठीकठाक रही। भूदेव, रितू, विश्व मोहन, लवली, चेतन, यूसुफ कैसर, बच्चा पांडेय, फतेह, भरत बिंद, वीणा, रीतलाल, अनंत, डब्ल्यू आदि। सब मैदान में हैं। कांग्रेस की आमदनी बहुत ज्यादा तो नहीं रही, फिर भी खाते में कई आए। ये हैं-गजानन, विश्वनाथ, काली, रवि ज्योति, विजेंद्र राजद ने उपेंद्र के 2 बड़े नेताओं को तोड़ा-प्रदेश अध्यक्ष भूदेव, युवा इकाई के अध्यक्ष कामरान को।
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