बक्सर में का बा...बेरोजगारी, अशिक्षा, जातपात,टूटल रोड और झूठा वादा के ढेर बा। का..का बताईं। हमनी के त हरमेसा ठगाइल बानी जा, कबो केहू हमनी के न सुनल, अब केहू से उम्मेद भी नइखे। पढ़ल- लिखल लोग भी चुनावी बयार में बह जाला, निमन प्रतिनिधि ना चुने ला लोग। ... इन पंक्तियों पर गौर कीजिए। बक्सर जिले का ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र हो, राजपुर, डुमरांव या फिर बक्सर सदर क्षेत्र... सभी जगह लोगों की यही पीड़ा है।
इस क्षेत्र की गौरवशाली परंपरा पर हम गर्व कर सकते हैं, लेकिन वर्तमान...बेहद अफसोसजनक। सत्ताधारी दल के नेताओं ने छला तो विपक्ष में बैठे लोगों ने भी दुखती रग को सहलाने का कोई काम नहीं किया। मतदाताओं में उम्मीद से अधिक निराशा का भाव। और यही यहां की सबसे बड़ी चिंता। यानी, चाहत तो बदलाव की, पर विकल्प क्या? बेबाकी के लिए मशहूर यहां के अधिकतर लोग इस बात पर चुप्पी साध ले रहे हैं।
कुछ यह कहते हुए कन्नी काट लेते कि ...देखल जाई चुनाव के दिन। क्षेत्र में प्रत्याशियों की आमदरफ्त अभी बेहद कम है। संभव है बड़े नेताओं की चुनावी सभा के बाद चुनावी फिजां में और निखार आए। चुनाव आयोग की सख्ती के कारण कहीं किसी दल या प्रत्याशी का चुनाव चिह्न युक्त झंडा या पोस्टर तो नहीं दिखता, लेकिन उनके समर्थक, मतदाताओं के मन टटोल रहे हैं।
हां, एक बात स्पष्ट रूप से दिख रही है कि लोकसभा चुनाव की तरह एकतरफा मुकाबला कहीं नहीं होगा। जीत- और हार के बीच बेहद मामूली अंतर होगा। लोजपा और बागी उम्मीदवार महागठबंधन और एनडीए के लिए मुसीबत बनेंगे, इसमें कोई शक नहीं।
राजपुर : परिवहन मंत्री संतोष कुमार मैदान में
राजपुर विधानसभा सीट से परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला मैदान में हैं। निराला को कांग्रेस के विश्वनाथ राम चुनौती दे रहे हैं। बसपा के संजय राम और लोजपा के निर्भय कुमार निराला यहां के मुकाबले को दिलचस्प बनाने में जुटे हैं, पर उनकी तैयारी ऐसी नहीं दिखती कि वे कोई बड़ा उलटफेर कर पाएं। मंत्री होने के बाद भी निराला अपने क्षेत्र के लोगों के लिए कोई ऐसा उल्लेखनीय काम नहीं कर पाए, जिसका डंका वे पीट सकें। मुख्य सड़क से मंत्री के गांव की दूरी सिर्फ 75 मीटर है, लेकिन दो किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। यह सिर्फ बड़ी नहर पर पुल नहीं बनाने के कारण है।
ब्रह्मपुर : हुलास सहित 14 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे
यहां पूर्व विधान पार्षद बाहुबली हुलास पांडे लोजपा से, महागठबंधन से राजद के शंभुनाथ यादव और एनडीए की ओर से विकासशील इंसान पार्टी के जयराज चौधरी चुनावी बिसात पर गोटियां सजाने में जुटे हैं। यहां से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें से अधिकतर सिर्फ इसलिए मैदान में हैं कि कहीं बाबा ब्रह्मेश्वर की कृपा बरस गई तो वे बाजी मार ले जाएंगे। यहां जातिगत समीकरण मायने रखता है। पिछले चुनाव में जेडीयू साथ थी, शंभूनाथ यादव जीते थे। इस बार जेडीयू एनडीए के जयराज चौधरी के साथ है। जयराज चौधरी पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं।
डुमरांव : जिले में यहीं सबसे ज्यादा 18 प्रत्याशी
पिछले चुनाव में जदयू के टिकट पर ददन पहलवान टिकट की बाजी में ही चित हो गए। पार्टी ने उनकी जगह अंजुम आरा को मैदान में उतारा है। ददन निर्दलीय हैं। महागठबंधन की ओर से भाकपा माले के अजीत कुमार सिंह हैं। लोजपा ने अखिलेश कुमार सिंह को उतारा है। बक्सर जिले में यहीं सर्वाधिक18 प्रत्याशी हैं। अंजुम आरा के लिए पुराने कार्यकर्ताओं और सहयोगी भाजपा के वोट बैंक को अपने पाले में लाने की बड़ी चुनौती है। महागठबंधन के अजीत कुमार सिंह की राह में राजद से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे सुनील कुमार बाधा बन रहे हैं।
बक्सर : यहां भाजपा और कांग्रेस में है मुकाबला
बक्सर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने परशुराम चतुर्वेदी को उतारा है, जबकि कांग्रेस के निवर्तमान विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी मैदान में हैं। यहां कुल 14 प्रत्याशी हैं। बुजुर्ग रामजी चौधरी पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट नहीं मिलने के मुद्दे पर कहते हैं कि उन्हें टिकट ही क्यों मिलना चाहिए! वे तो डीजीपी रहते हुए अपने क्षेत्र की खूब सेवा कर सकते थे। युवा दिनेश कहते हैं कि भाजपा के कार्यकर्ता रह चुके निर्दलीय आकाश कुमार सिंह जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, वह दलीय प्रत्याशियों की मुसीबत बढ़ा दें तो कोई बड़ी बात नहीं।
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