सासाराम | सीड़ी गांव। सासाराम से 24 किलोमीटर दूर, सुबह 6 बजे का वक्त। धुंध जरूर है पर सड़क पर लोग मार्निंग वॉक कर रहे हैं। घरों के आगे ट्रैक्टर, हार्वेस्टर हैं। तालाब हैं। धान की फसल तैयार है। सियासी चर्चा में लोगों की दिलचस्पी है। गांव के श्री भगवानजी कहते हैं- चुनाव है, देर रात तक प्रत्याशियों के समर्थन में गोलबंदी करने घर-घर आ रहे हैं समर्थक, लेकिन लोग मन तो पहले ही बना चुके हैं।
किसे वोट देना है। कौन जीतेगा वह तो 10 नवंबर को पता चलेगा, पर हमारा इलाका तो पहले से काफी बदल गया है। रात भर बिजली रहती है। सड़कों की स्थिति भी सुधरी है। सिंचाई की सुविधा तो बहुत पहले से ही यहां अच्छी है। गांव से निकलकर जब हम सासाराम-चौसा हाईवे पर आते हैं तो कुछ दूरी पर शेरशाह इंजीनियरिंग कॉलेज दिखता है। यहां पढ़ाई शुरू हो चुकी है। वहीं पर मिले अखिलेश कहते हैं कि करगहर में मुकाबला तो जदयू और कांग्रेस के बीच ही है। जातीय गोलबंदी यहां भी हो रही है।
लोजपा-भाजपा के बीच अंदरुनी दोस्ती और इसको लेकर लोकल स्तर पर सोशल मीडिया में चर्चा मतदाताओं में है। वैसे सासाराम में भाजपा कैडर पार्टी के साथ है। और यही स्थिति दिनारा में भी है। जय कुमार सिंह को किनारा लगाने की कोशिश में राजेंद्र सिंह मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं।
यहां से राजद के विजय मंडल हैं। बिक्रमगंज बाजार में मिले राजकुमार कहते हैं कि काराकाट में माले और भाजपा में सीधी टक्कर है और नोखा में अनिता देवी को स्वजातीय वोटों पर भरोसा है जबकि जदयू से नागेंद्र चंद्रवंशी राजग के अति पिछड़ा और सवर्ण वोटों पर निर्भर हैं।
सासाराम : टिकट बंटवारे में फेरबदल से बदला है समीकरण
यहां टिकट बंटवारे में हुए फेरबदल से चुनाव समीकरण बदल गया है। राजद छोड़कर जदयू में गए डॉ. अशोक कुमार एनडीए के उम्मीदवार हैं। यह सीट पहले भाजपा की थी। कुशवाहा बहुल क्षेत्र में डॉ. अशोक स्वजातीय मतदाताओं की गोलबंदी में जुटे हैं। राजद ने भाजपा के परंपरागत वोटर वैश्य समाज से राजेश गुप्ता को मैदान में उतारकर एनडीए का खेल बिगाड़ने का प्रयास किया है। तीसरा कोण बनाने के लिए मैदान में उतरे नोखा के पूर्व भाजपा विधायक रामेश्वर चौरसिया वैश्य मतदाताओं में सेंधमारी के प्रयास में हैं।
चेनारी (सु) : जदयू और कांग्रेस के बीच ही सीधी लड़ाई
इस बार जदयू ने दो साल पहले रालोसपा छोड़ पार्टी में शामिल निवर्तमान ललन पासवान को उम्मीदवार बनाया। उनके खिलाफ महागठबंधन से कांग्रेस ने पूर्व विधायक मुरारी गौतम को उतारा है। जबकि एक और पूर्व विधायक श्याम बिहारी राम बसपा-रालोसपा गठबंधन में बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान मे हैं। चुनाव नजदीक आते-आते यहां जदयू व कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई की संभावना है।
दिनारा : मंत्री की जय को चुनौती, विजय भी मैदान में
रोहतास की यह सबसे चर्चित सीट हो गई है। एनडीए से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जयकुमार सिंह जदयू प्रत्याशी हैं। गठबंधनों के बदले समीकरण के कारण पूर्व में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े राजेंद्र सिंह को टिकट नहीं मिला तो वे पार्टी छोड़ लोजपा के सिंबल पर चुनाव मैदान में हैं। राजद ने विजय मंडल को प्रत्याशी बनाया है। बसपा-रालोसपा गठबंधन से राजेश कुशवाहा हैं। यादव व राजपूत बहुल इस सीट पर राजेंद्र स्वजातीय वोटरों के बीच खुद को मंत्री से बेहतर बताने का प्रयास कर रहे हैं।
डेहरी : जोशी के रहने से दोनों गठबंधनों के वोट कटेंगे
डेहरी से पहली बार इलियास हुसैन या परिवार का कोई नहीं है। भाजपा विधायक सत्यनारायण यादव पर पार्टी ने फिर विश्वास जताया है। महागठबंधन से राजद उम्मीदवार फतेबहादुर सिंह हैं, जो कुशवाहा हैं। हिन्दू चेहरा प्रदीप जोशी के लड़ने से नुकसान दोनों को है। यहां मल्लाह वोट निर्णायक होते रहा है।
नोखा : जदयू और राजद में इस सीट पर सीधा मुकाबला
महागठबंधन से राजद की अनिता देवी दूसरी बार मैदान में हैं। भाजपा ने यह सीट जदयू की झोली में डाल दी है। जदयू ने यहां अति पिछड़ा वर्ग से जिलाध्यक्ष नागेंद्र चंद्रवंशी को मैदान में उतारा है। यादव बहुल नोखा विधानसभा क्षेत्र में अगड़ी जाति के लोगों का वोट निर्णायक साबित होगा।
करगहर: महागठबंधन और राजग उम्मीदवार में मुकाबला
एनडीए की तरफ से जदयू उम्मीदवार वशिष्ठ सिंह दोबारा चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस के संतोष मिश्रा, लोजपा से राकेश कुमार सिंह उर्फ गबड़ू सिंह और बसपा रालोसपा से जदयू के पूर्व दिग्गज व स्वास्थ्य मंत्री रहे रामधनी सिंह के बेटे उदय प्रताप मैदान में हैं। कांग्रेस ने इस बार महागठबंधन की तरफ से ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारकर लड़ाई को और पेचीदा बना दिया है। फिलहाल जदयू के साथ कांग्रेस की लड़ाई है। बसपा-रालोसपा गठबंधन त्रिकोण बनाने की फिराक में है।
काराकाट : भाजपा-माले के बीच कांटे की रहेगी टक्कर
यहां भाजपा के राजेश्वर राज और माले के अरुण कुमार के बीच सीधी टक्कर है। जातीय आंकड़ों में माले मजबूत दिखता है। राजद की परंपरागत सीट पर बहुत दिनों बाद यादव प्रत्याशी के न होने से इस जाति के वोटर थोड़े असमंजस में हैं। राजेश्वर एनडीए के परंपरागत वोटरों, खासकर राजपूत और वैश्य की गोलबंदी पर फोकस किए हुए हैं। सफल हुए तो जीत भी सकते हैं। अरुण यहां से विधायक रह चुके हैं। माले को अपने कैडर वोट के साथ एमवाई समीकरण का लाभ मिलेगा।
धान की फसल की जो हकीकत वही उम्मीदवारों की भी...
दिनारा में चुनाव को लेकर मनीष सिंह कहते हैं...धान की फसल तैयार है। देखने में लगता है कि कटाई का समय आ गया है। लेकिन जमीनी हकीकत है कि खेत में नमी है। फसल काटी नहीं जा सकती है। चुनाव में कुछ नेताओं की स्थिति भी यही है।
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