

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल फरवरी में राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि चुनाव में आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को चुनने व साफ छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने का कारण बताना होगा।
ऐसे चयन का कारण संबंधित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों और योग्यता के संदर्भ में होना चाहिए।
पर इस बार विधानसभा चुनाव के मैदान में खड़े प्रत्याशियों के आंकड़े बताते हैं कि राजनीतिक दलों ने 37 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को ही टिकट दिए हैं। इस बार चुनाव लड़ रहे कुल 3733 प्रत्याशियों में से 1201 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। आपराधिक मामलों में मोकामा से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अनंत सिंह टॉप पर हैं, उनपर 38 मामले दर्ज हैं। इनमें से कई गंभीर मामले हैं।
पिछले चुनाव में दागियों के मामले में छठे नंबर पर थे, इस बार पहले नंबर पर हैं। दूसरे नंबर पर गुरुआ से जाप के उम्मीदवार सुधीर कुमार वर्मा हैं उनपर 37 केस दर्ज है। तीसरा नंबर खुद जाप के मुखिया राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का है, उनपर 32 मुकदमें दर्ज हैं।
2015 के विधानसभा चुनाव में 1016 प्रत्याशियों के खिलाफ थे आपराधिक मामले
वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुल 3450 कैंडिडेट थे, इनमें 1016 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। पिछले साल से इस बार दागियों की संख्या ज्यादा है।
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