सेंट्रल ट्रेड यूनियन के आह्वान पर आयोजित हड़ताल के दौरान गुरुवार को राज्य में एसबीआई और निजी बैंकों को छोड़ व्यवसायिक व ग्रामीण बैंक की 5127 शाखाओं में सुबह से ही ताला लटका रहा। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएं लगभग ठप रहीं। इस दौरान करीब 50 हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ। करोड़ों के चेक क्लियरिंग में फंसे रहे।
दोपहर तक विभिन्न जगहों पर स्थित सैकड़ों एटीएम खाली हो गए, जिससे लाेगाें काे परेशानी हुई। राजधानी में बैंक कर्मियों ने अपने-अपने प्रशासनिक कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कुछ जगहों पर स्टेट बैंक तथा अन्य निजी बैंकों की शाखाओं को बंद करा दिया गया, जिन्हें प्रदर्शनकारियों के जाने के बाद खोल दिया गया। हड़ताल के बाद महीने के अंत में 27 को छोड़ लगातार तीन दिन बैंक बंद रहेंगे।
बैंक यूनियनों ने बंद को बताया सफल
ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर एसोसिएशन, बैंक इम्प्लाइज फेडरेशन और यूनाइटेड फोरम ऑफ ग्रामीण बैंक ने बंद को सफल बताया। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डीएन त्रिवेदी व महासचिव नदीम अख्तर ने बताया कि व्यावसायिक बैंकों और ग्रामीण बैंक के 30 हजार से ज्यादा बैंक कर्मी हड़ताल पर रहे।
बिहार प्रोविंशियल बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के उप महासचिव संजय कुमार तिवारी ने कहा कि मांग नहीं माने जाने पर आंदोलन किया जाएगा। स्टेट बैंक के यूनियन ऑयबोक, एनसीबीई और भारतीय मजदूर संघ का बैंक यूनियन नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स ने भी हड़ताल का नैतिक समर्थन किया।
कारोबारियों को हुई सबसे ज्यादा परेशानी
हड़ताल के दौरान बैंक बंद रहने से सबसे ज्यादा परेशानी कारोबारियों को हुई। बैंकिंग सेवा उपलब्ध नहीं होने से कारोबारियों के रोजमर्रा के कई काम ठप रहे। बैंक बंद रहने से सेल की बड़ी राशि को कारोबारी असुरक्षित तरीके से अपने पास रखने के लिए मजबूर रहे। बिहार चैंबर और कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि बैंकिंग सेवाओं के ठप्प रहने का सबसे ज्यादा प्रभाव कारोबारियों को ही हुआ। पूरे राज्य में 4 लाख करोड़ से ज्यादा के व्यवसायिक लेन-देन पर असर पड़ा।
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