एक ब्रेन डेड मरीज के विभिन्न अंगों से आठ जरूरतमंदों की जान बचाई जा सकती है। ब्रेन डेड मरीज का हार्ट, लिवर, किडनी, कॉर्निया, बोन आदि का इस्तेमाल जरूरत मरीज के लिए किया जा सकता है। ब्रेन डेड मरीज के परिजनों को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए।
हालांकि, कोई अंगदान करना चाहे तो उसके लिए उसे स्टेट आर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (सोटो) के कार्यालय में एक फाॅर्म भर कर जमा करना पड़ता है। सोटो का कार्यालय आईजीआईएमएस में है। यह जानकारी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल और नोडल आफिसर डॉ. मनोज कुमार ने दी।
बीते दिनों अंगदान पर ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजन किया था। उसके विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। इसमें प्रथम पुरस्कार आईजीआईएमएस के छात्र आदर्श कुमार, नोट्रेडम एकेडमी के प्रांजलि राज को द्वितीय और पटना साइंस कालेज के शुभम सौरभ को तृतीय पुरस्कार दिया गया।
इस मौके पर अंगदान करने वाले ब्रेन डेड मरीज के दो परिजनों को सम्मानित किया गया। 24 सितंबर, 2018 को शशिभूषण प्रसाद ने बेटे सौरभ प्रतीक और 18 मार्च, 2020 को रवींद्र प्रसाद ने अपने ब्रेन डेड बेटे रोहित का किया था।
9473192773 पर कर सकते हैं अंगदान के इच्छुक परिजन संपर्क
ट्रांसप्लांट काे-अाॅर्डिनेटर जसपाल सिंह ने कहा कि बिहार में किसी भी अस्पताल में कोई ब्रेन डेड मरीज आता है या दुर्घटना में लाइलाज हेड इंज्युरी के मरीज के परिजन यदि अंगदान करना चाहते हैं तो फोन नंबर -9473192773 पर संपर्क कर सकते हैं। इस फोन की 24 घंटे सेवा उपलब्ध है।
डॉ. मंडल ने बताया कि राज्य में जितने भी अस्पताल व स्कूल हैं, वहां अंगदान के प्रति जागरूक करने के लिए प्रचार अभियान चलाया जाएगा, जिससे लोग जागरूक हों। इस मौके पर निदेशक डॉ. एनआर विश्वास, डॉ. केएच राघवेंद्र, डॉ. रंजीत गुहा, डॉ. विभूति प्रसन्न सिन्हा, डॉ. निलेश आदि थे।
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