आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(कृत्रिम बुद्धि) का दावा इतना है कि मानव की बुद्धि का एक मशीन द्वारा अनुकरण कर सकता है। आज यह प्रौद्योगिकी उद्योग का सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य हिस्सा बन गया है। आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमता पर दुनिया भर में बड़े पैमाने पर अध्ययन हो रहे हैं।
इसमें भारी निवेश भी हो रहा है। इसके सकारात्मक पक्ष के बेरोजगारी जैसे नकारात्मक प्रभाव भी हैं। मगध विवि स्नातकोत्तर वाणिज्य की सहायक प्राध्यापिका विनीता कुमारी, सहायक प्राध्यापक डॉ. धरेन कुमार पाण्डेय एवं काशी हिन्दू विवि के पूर्व छात्र वरुण राय ने लेखांकन का बदलता चेहरा: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग में संभावनाएं और मुद्दे शीर्षक पर एक सैद्धांतिक शोध पत्र भी प्रस्तुत करते हुए उक्त बातें कही।
शोध पत्र में उन्होंने यह निष्कर्ष दिया कि यद्यपि कुछ मुद्दे और भय जैसे कि बेरोजगारी, सुरक्षा का उल्लंघन, और अनुभव की कमी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग के साथ विकसित हो रहे हैं, यह अपने साथ कई अवसर लाता है जैसे स्वचालन, कम लागत, बढ़ी हुई दक्षता और सटीकता।
लेखांकन का भविष्य निश्चित रूप से कृत्रिम बुद्धि के साथ भारी बदलाव का अनुभव करने वाला है। लेखांकन वित्तीय आंकड़ों और बयानों तक सीमित नहीं रहेगा और सामाजिक नेटवर्क, वीडियो, आरएफआईडी डेटा, आदि से वास्तविक समय के डेटा तक विस्तारित होते हुए ऐसे परिणाम निकालेगा जो संगठनों को प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
निभाई रैपोर्टियर की भूमिका
एमयू के स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग की सहायक प्राध्यापिका विनीता कुमारी ने वाणिज्य विभाग सिद्धो कान्हो बिरसा विवि पुरुलिया, पश्चिम बंगाल के निमंत्रण पर व्यापार, वित्त, और अर्थव्यवस्था में बदलते परिदृश्य पर वहां चल रहे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय इ-कांफ्रेंस के प्लेनरी सत्र में रैपोर्टियर की भूमिका निभाते हुए समापन सत्र में विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।
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