स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट पर चार साल बाद शुरू हुआ काम भी सवालों के घेरे में आ गया है। 34.7 करोड़ से सैंडिस कम्पाउंड संवारने वाले सिंघल इंटरप्राइजेज की गड़बड़ी दैनिक भास्कर के टेक्निकल ऑडिट में सामने आई तो उसे बचाने को प्रमंडलीय कमिश्नर वंदना किनी सामने आ गईं।

भागलपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट की टीम के किए टेक्निकल ऑडिट में घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल की हकीकत सामने आते ही कमिश्नर ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को हड़काया। धमकी दी और गड़बड़ी करने वाली एजेंसी का खूब बखान किया। पूरे कॉन्फ्रेंस में सैंडिस की गड़बड़ी की मीडिया में छप रही खबरों पर उनका गुस्सा खुलकर सामने आया। निर्माण कार्य पर ऊंगली उठाने वाले हर वर्ग को उन्होंने साजिश में शामिल बताया। बिना नाम लिए नगर विधायक अजीत शर्मा पर निशाना साधा।

कमिश्नर ने प्रेस कांफ्रेंस की शुरुअात में ही कहा कि स्मार्ट सिटी के काम काे साजिश के तहत बदनाम करने की काेशिश की जा रही है। कुछ लाेग नहीं चाहते हैं कि स्मार्ट सिटी का काम हाे। वहीं, विधायक अजीत शर्मा ने कहा, कमिश्नर जिस तरह से प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात कर रही हैं, उससे उनका पर्सनल इंटरेस्ट साफ दिख रहा है। जनता को ऐरा-गैरा कहने और राजनेताओं पर आरोप लगाने को लेकर सीएम से शिकायत करूंगा। उच्चस्तरीय जांच की मांग करूंगा।

जब बढ़िया ईंट लगाई थी तो फिर उसे उखाड़ी क्याें
कमिश्नर वंदना किनी ने साेमवार काे प्रेस कांफ्रेंस कर दावा किया कि सैंडिस कंपाउंड में चल रहे काम में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं की जा रही है। इंजीनियरिंग काॅलेज के एक्सपर्ट की टीम ने जांच में घटिया ईंटाें का इस्तेमाल बताया था। जिस पर कमिश्नर ने कहा कि काेई पुरानी ईंट काे ताेड़कर दिखा रहे हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि जब उनकाे एजेंसी के काम पर इतना भराेसा है और बेहतर ईंट का इस्तेमाल हाे रहा है ताे अब उसे उखाड़कर नई ईंट क्याें लगाई जा रही है? क्या एजेंसी काे बचाने और सच काे छुपाने की काेशिश की जा रही है? चौंकाने वाली बात ये है कि खुद एजेंसी ये स्वीकार कर चुकी है कि कुछ घटिया ईंटें लगी थीं। ईंटों के कच्चे होने की बात भी एजेंसी स्वीकार चुकी है। पुरानी ईंटों के इस्तेमाल पर भी एजेंसी अपनी गलती मान चुकी है। भास्कर के पास तमाम सबूत सुरक्षित हैं।

पहले भी अफसरों-ठेकेदारों ने मचाई लूट भास्कर ने ही किया था खुलासा
स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट अफसराें-ठेकेदाराें के लूट की गाथा है। एलईडी खरीद, वायफाय कनेक्शन, सरकारी पैसे से ठेकेदार की हवाई यात्रा, अन्य काम में गड़बड़ी का खुलासा भास्कर ने ही किया। तब नोटिस भेज सच दबाने की कोशिश की थी। भास्कर डटा रहा। पूर्व कमिश्नर राजेश कुमार ने जांच कराई थी। इसमें कई गड़बड़ी मिली।

आखिर अलग से भास्कर रिपोर्टर से क्यों मिलना चाहती थीं कमिश्नर?
प्रेस कांफ्रेंस दोपहर 2.30 बजे था। लेकिन स्मार्ट सिटी पीआरओ अमित कुमार ने भास्कर रिपोर्टर को मैसेज भेज कहा, कमिश्नर अलग से 1 बजे मिलना चाहती हैं। रिपाेर्टर ने 2.30 बजे ही मिलने को कहा। सवाल यह है कि वे रिपोर्टर से अलग से क्यों मिलना चाहती थीं? वह क्या बात थी, जो प्रेस कांफ्रेंस में नहीं हो सकती थी?

एजेंसी का बखान, फिर वैभव के बहाने विधायक पर निशाना
कमिश्नर ने ठेका एजेंसी सिंघल इंटरप्राइजेज का खूब गुणगान किया। पहले देशभर में एजेंसी के किए काम की चर्चा की। इसके बाद सैंडिस में हाे रहे निर्माण का भी बखान किया। उन्हाेंने कहा, अब तक 1.86 कराेड़ ही एजेंसी को दिया गया है। लेकिन इतना बड़ा घाेटाला बताया जा रहा है। राजनेता अपना विकास और खुद का वैभव चाहते हैं। रोज सीमेंट व ईंट देखने जा रहे हैं। काेई पुरानी ईंट काे ताेड़कर दिखा रहे हैं। सीमेंट की जगह मिट्टी उठा रहे हैं। पब्लिक काे नेता मिसगाइड कर रहे हैं।

एक्सपर्ट की जांच पर आपत्ति काम बंद करने का डर दिखाया
कमिश्नर बोलीं, पहले पुरानी ईंट का मसला लाेगाें ने उठाया। इससे काम नहीं हुआ ताे इंजीनियरिंग काॅलेज की टीम काे जांच के लिए भेजा। जांच में भी मीडिया के सामने पुरानी ईंटें दिखाई गई। नगर आयुक्त ने इंजीनियरिंग काॅलेज के प्राचार्य से पूछा कि ऐसा क्याें किया और स्पाॅट पर किसकी परमिशन से गए? इसके बाद वे खुद जांच करने पहुंच गए।

प्राचार्य लेवल का व्यक्ति खुद ही आ जाए ताे अजीब स्थिति बन जाती है। प्राचार्य 31 दिसंबर काे रिटायर हाेने वाले हैं। इससे पहले जांच का क्या आधार है, फैकल्टी काे क्याें भेजा? उन्हें राजनीति करनी है, राजनेता बनना है या किसी से मिले हुए हैं। धमकाते हुए कमिश्नर ने कहा, प्राचार्य पर विभागीय कार्रवाई भी चल रही है। अब एक और आराेप जुड़ेगा। जांच का प्रमाण नहीं, आइडिया नहीं, पर बिन बुलाए मेहमान की तरह डेढ़ कराेड़ की याेजना की जांच कर दी। सैंडिस के प्राेजेक्ट काे बंद करना है ताे दाे मिनट में कर देंगे पर इसका पैसा दुबारा नहीं आएगा।



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