पुरानी कहावत है राजाओं की लड़ाई में हार प्रजा की होती है। विभाग और जूनियर डॉक्टरों के बीच चल रहे संघर्ष में सबसे ज्यादा नुकसान उस जनता का हो रहा है जिसकी सेवा के लिए विभाग के अधिकारी और डॉक्टर दोनों ही नियुक्त किए गए है। जैसे-जैसे हड़ताल के दिन बढ़ रहे हैं, अस्पताल की व्यवस्था वैसे-वैसे शिथिल पड़ रही है।

पहले से ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे मरीजों पर यह हड़ताल कहर बरपा रहा है। हजारों परिजन ऐसे हैं जो अस्पताल के बाहर अपने मरीज के साथ कभी खाली ओपीडी को देख रहे हैं तो कभी अपनी जेब तोल रहे है। सैकड़ों परिजन ऐसे हैं जिनके मरीज अस्पताल में भर्ती तो हैं लेकिन उनकी खैर-खबर लेने वाला कोई डॉक्टर कई दिनों से वॉर्ड में आया ही नहीं।

वो भी अस्पताल के गलियारे में आगे का रास्ता जोह रहे हैं। कुछ हिम्मत दिखाकर तो कुछ हिम्मत हार कर अपने मरीज को अस्पताल से निकाल रहे हैं। जो सक्षम हैं वो निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं। जो सक्षम नहीं है उनका सवाल है- जब मरना ही है तो यहां क्यों रहना?

नालंदा की लक्ष्मी, मुजफ्फरपुर के श्रीनारायण सिंह, मशरख के विकास कुमार, छपरा की आशा कुमारी की आपबीती से शायद विभाग के बजट या डॉक्टरों के स्टाइपेंड को कोई फर्क नहीं पड़े। लेकिन सच यही है कि असफल प्रबंधन और मांग की जिद ने मरीजों को आतंकित कर दिया है। परेशान होने से ज्यादा वो डरे हुए हैं।
इधर, एनएमसीएच में भी जूनियर डाक्टरों की हड़ताल तीसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रही। जूनियर डाॅक्टर इमरजेन्सी के गेट पर धरना पर बैठे रहे। क्रिसमस के कारण अस्पताल में छुट्‌टी थी और ओपीडी और ओटी बंद थे। इमरजेंसी में सीनियर डॉक्टर डटे रहे। इमरजेंसी में मरीजों का इलाज हुआ। हालांकि लोगों को इलाज के लिए काफी इंतजार करना पड़ा।

एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह व उपाधीक्षक डॉ सरोज कुमार ने अस्पताल के विभिन्न विभागों का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि इमरजेन्सी में मरीजों का इलाज किया गया। सीनियर डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज किया। उन्होंने बताया कि एसओडी व पीओडी को डबल कर दिया गया है। इधर, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ रामचंद्र कुमार ने बताया कि लंबित मांगों को पूरा होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

क्या इलाज हो रहा है कोई बताने वाला नहीं: मशरख के विकास कुमार अपनी मां गीता कुंवर को पीएमसीएच में गुरुवार को भर्ती कराए थे। विकास का आरोप है कि क्या इलाज हो रहा है कुछ समझ में नहीं आ रहा है। कोई डॉक्टर भी देखने नहीं आ रहा है। स्लाइन कौन चढ़ाएगा यह भी पता नहीं है। मां को हॉर्ट और किडनी की समस्या हैं। इस वजह से यहां से मां को प्राइवेट अस्पताल लेकर जा रहे हैं।

न आईसीयू और न ही डॉक्टर, यहां रखकर क्या फायदा
मुजफ्फरपुर के श्रीनारायण सिंह भी मां देवंती देवी (75) को बुधवार को टाटा वार्ड में भर्ती कराए थे। इनका आरोप है कि उनकी मां को आईसीयू की जरूरत है और यहां आईसीयू उपलब्ध ही नहीं है। फिर यहां रखकर क्या फायदा। इसके अलावा डॉक्टर भी हड़ताल पर हैं। सिंह अपनी मां को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने के लिए लेकर चले गए।

अस्पताल में डॉक्टर देख ही नहीं रहे, मौत होनी होगी, तो अब घर पर ही होगी

छपरा के रहने वाले 70 वर्षीय शोभा देवी बगैर इलाज कराए शुक्रवार को हॉस्पिटल छोड़कर घर चली गई। इस संबंध में उनकी बेटी आशा कुमारी का कहना है कि जूनियर डॉक्टर की हड़ताल की वजह से इलाज में लापरवाही बरती जा रही है। राउंड पर भी डॉक्टर नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में यदि मरना ही है तो घर ठीक रहेगा। यहां क्यों रहना। परिवार को भी एक तसल्ली रहेगी कि अंतिम वक्त में सभी लोग साथ थे। वही पर मुजफ्फरपुर के रहने वाले अरविंद कुमार ने कहा कि बगैर इलाज के ही यहां पर लोग मर रहे है। इससे अच्छा अपने शहर में चले जाए।

1 बजे का ओपीडी, 1 दिन पहले पहुंचे रोगी

पीएमसीएच की ओपीडी में सीनियर डॉक्टर एक बजे बजे तक मरीजों को देखते हैं। और एक बजे तक ही ओपीडी में पर्ची कटता है। इससे बगैर तैयारी के बाहर से आने वाले मरीज खुले आसमान के नीचे रात काटने को मजबूर होते हैं या फिर उन्हें एक दिन पहले आना पड़ता है।



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Junior doctors adamant on strike; Department order - it is illegal for doctors to go on strike without notice, action should be taken

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