डागमारा पनबिजली परियोजना से सौर ऊर्जा का भी उत्पादन होगा। इस परियोजना को विस्तारित करने पर विचार हो रहा है। डागमारा में राज्य की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना स्थापित होनी है। बिजलीघर के आस-पास बड़ा इलाका खाली रहेगा, ऐसे में वहां सौर ऊर्जा की संभावना है।

यहां से सौर ऊर्जा उत्पादित होने पर इस परियोजना का न केवल विस्तार होगा, बल्कि यहां से पैदा होना वाली बिजली और सस्ती होगी। पिछले दिनों एनएचपीसी के अधिकारियों ने परियोजना का स्थल दौरा कर इसके निर्माण पर अपनी सहमति दे दी है।
लंबे समय से डागमारा परियोजना अपनी परियोजना लागत व निर्माण स्थल को लेकर विवादों में रहा है। कभी इससे उत्पादित बिजली की दर अधिक होने तो कभी नेपाल की सीमा के नजदीक होने से अंतरराष्ट्रीय समस्या के कारण अटक गया था। जल संसाधन विभाग से परियोजना स्थल को लेकर भी विवाद हुआ। पर, इन तमाम बाधाओं के बावजूद बिहार स्टेट हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर काॅरपोरेशन (बीएचपीसी) ने उम्मीद नहीं छोड़ी।

केंद्र सरकार से लगातार संपर्क के कारण इसके निर्माण की उम्मीद बनी रही। इस परियोजना से 130 मेगावाट बिजली पैदा होनी है। परियोजना वर्ष 2006-07 से ही विभिन्न स्तरों पर अटकी पड़ी है। बिहार ने इसके लिए काफी प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। कभी नक्शे को लेकर तो कभी इसके स्थान को लेकर विवाद खड़ा होता रहा। इस परियोजना का डीपीआर भारत सरकार की एजेंसी वैपकॉस ने तैयार किया है।
डागमारा पनबिजली परियोजना

कोसी बराज के डाउन स्ट्रीम में 22.5 किलोमीटर पर वीरपुर (सुपौल) व कुरसेला (कटिहार) के बीच 126 मेगावाट पनबिजली की क्षमता का पता चला। सर्वे और तकनीकी पहलू की जांच के बाद ही सेंट्रल बोर्ड ऑफ इरिगेशन एंड पावर के चेयरमेन डॉ. कंवरसेन ने इस परियोजना की रूपरेखा तैयार की। उसी के आधार पर बीएचपीसी ने वर्ष 2005-06 में इस पर काम शुरू किया।

वर्ष 2006-07 में इसे प्रारंभिक स्वीकृति भी मिल गई। वैपकॉस द्वारा परियोजना का डीपीआर तैयार करवाकर केंद्र के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया। बाद में नेपाल से अनुमति नहीं लेने का तर्क देकर इसका स्थल बदला गया। इसके बाद भी समस्याएं आती रहीं। अब एनएचपीसी इसे पूरी करेगी।

पर्यटन स्थल के रूप में भी किया जाएगा विकसित
डागमारा परियोजना में पनबिजली के साथ सौर ऊर्जा तो पैदा होगी ही, इसमें मछली उत्पादन भी होगा। इसके साथ ही इसे पर्यटनस्थल के रूप में भी विकसित करने की योजना है। चौड़ी सड़क से जुड़े इस क्षेत्र में पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित होने की पूरी संभावना है। बिहार इसे बहुद्देशीय परियोजना के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है।

यह बिहार के लिए बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है। इसके निर्माण के लिए एनएचपीसी से बात चल रही है। पिछले दिनों एनएचपीसी के अधिकारियों ने स्थल दौरा करने के बाद निर्माण पर सहमति दी है। हम इसे बहुद्देशीय परियोजना के रुप में विकसित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। -विजेंद्र प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री



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Dagmara Hydropower Project: Now along with solar energy, fisheries will also be there

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