मकर संक्रांति से पूर्व ही शहर में तिलकुट की दुकानें सज चुकी है। हालांकि, संक्रांति पर्व में 10 दिन शेष है। तिलकुट की दुकानों पर खरीदारी के लिए ग्राहकों की भीड़ जुटने लगी है। तिलकुट को लेकर सीतामढ़ी की खास पहचान बन चुकी है।
देश के महानगरों समेत विदेशों में भी यहां की तिलकुट डिलेवर किया जाता है। ठंड के दस्तक देते ही शहर के महंथ साह चौक पर दुकानें सजनी शुरू हो जाती है। गया, नवादा, बिहारशरीफ आदि स्थानों के कारीगर तिलकुट बनाने में जुट जाते है। गया तिलकुट नामक दुकान के मास्टर जी तिलकुट वाले ने बताया कि वे 1993 से दुकान सजा रहे हैं।
मधुमेह रोगियों के लिए शुगर फ्री तिलकुट
सीतामढ़ी में कई प्रकार के तिलकुट तैयार किए जाते है। इसमें सबसे खास मधुमेह रोगियों के लिए शुगर फ्री तिलकुट है। इसे खास डॉयबेटिक मरीजों के लिए तैयार किया जाता है। यह खास तिलकुट बिना चीनी व गुड़ के तैयार किया जाता है। फिर भी मिठास बरकरार रहती है। स्पेशल ऑर्डर पर इसे तैयार किया जाता है। शुगर फ्री तिलकुट बाजार में 550 से 600 रुपए किलो तक बेची जाती है। गया तिलकुट के मास्टर जी ने बताया कि सीतामढ़ी की तिलकुट देश के दिल्ली, नाेयडा, मुंबई, मद्रास समेत विदेशों में भी भेजी जाती है।
कई ऐसे पुराने कस्टमर है, जो काॅल कर स्पेशल ऑर्डर भी देते है। यहां से तिलकुट खरीदकर अपने सगे-संबंधी व रिश्तेदारों को अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया व अरब देशों में भेजते है। इससे बालूशाही व छेना की जलेवी के बाद सीतामढ़ी की तिलकुट अपनी खास पहचान बना चुकी है।
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