इंडियन पोडियाट्रिक एसोसिएशन बिहार चैप्टर के तत्वावधान में डायबिटीज के मरीजों में होने वाले पैर की बीमारियों एवं इन्फेक्शन की रोकथाम के लिए शनिवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। उद्घाटन डॉ. संतोष कुमार सिंह व डॉ रवि कैंमीपली ने किया। अमेरिका से आये डॉ. रवि कैंमीपली ने फुट इन्फेक्शन से बचने के लिए उपाय की चर्चा की। डॉ रवि ने बताया कि अनियंत्रित मधुमेह पैर या अल्सर के खतरे को बढ़ा देता है। विश्व में डायबिटीज की वजह से हर 30 सेकंड में एक पांव खराब हो जाता है। भारत में वैसकुलर सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, डायबिटीज की वजह से हर साल करीब एक लाख पैर काटने पड़ते हैं। देश में करीब 6.2 करोड़ डायबिटीज रोगियों में 25 फीसदी को अपने जीवनकाल में पांव में लाइलाज घाव, नासूर और जानलेवा संक्रमण हो जाता है। अगर लम्बे समय से किसी व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या होती है तो उसका असर पैरों पर साफ दिखाई पड़ने लगता है। मधुमेह की बीमारी के दौरान पैरों की देखभाल करना सबसे जरूरी चीज बन जाती है।

सही फुटवियर पहनें ताकि पैरों में चोट न लगे

डॉ रवि ने बताया कि डायबिटीज से ग्रसित मरीज सही फुटवियर ही पहनें, ताकि उन्हें पैरों में चोट न लगने पाएं। मौके पर डॉ रवि ने कीटो डाइट पर नए रिसर्च की जानकारी में साझा की। इंडियन पोडियाट्रिक एसोसिएशन के बिहार चैप्टर के अध्यक्ष डॉ सुभाष कुमार ने डायबिटिक फुट इन्फेक्शन से बचने के लिए बताया कि खुद से दवाओं का सेवन न करें। डॉ सुभाष ने कहा कि मधुमेह से ग्रसित रोगियों को सख्त रूप से सलाह दी जाती है कि यदि उन्हें पैरों में कोई घाव या चोट लग जाती है या किसी प्रकार का दाना इत्यादि हो जाता है तो वे अपने आप से दवा का सेवन शुरू न कर दें। डॉक्टर से सही सलाह लेने के बाद ही दवा खाएं। सर्दियों में रखें खास ध्यान ठंड में डायबिटिक के लिए पंजों का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है क्योंकि इस मौसम में पैरों की त्वचा तेजी से रूखी होती है और पंजे व एड़ियां फटते हैं। ऐसे में पैरों को हमेशा सूखा रखें। मौके पर डॉ अजय कुमार सिन्हा, डॉ अतुल कुमार, डॉ शैवाल गुप्ता, डॉ आनन्द शंकर, डॉ रितेश, डॉ रविन्द्र कुमार, डॉ.कुणाल कुंदन, डाइटिशियन सुमिता कुमारी ने भी समस्याएं साझा किया।



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