

शांति प्रार्थना की उत्पत्ति पर अपनी अगाध श्रद्धा व्यक्त करते हुए करमापा थाए दोरजे ने कहा कि हम सभी जागरूक प्राणियों के लाभ के लिए कामना करते हैं और बिना किसी शर्त, दया या उम्मीद के हमारी योग्यता और ज्ञान को समर्पित करते हैं।
काग्यू मोनलम में पूजा करते करमापा थिनले थाए दोरजे।
इन देशों के थे श्रद्धालु : इस मौके पर मंदिर परिसर में आस्ट्रिया, हंगरी, स्पेन, स्विटजरलैंड, पोलैंड, डेनमार्क, फ्रांस, मलेशिया, सिंगापुर, हांगकांग, जर्मनी, ताइवान सहित लगभग 20 देशों के श्रद्धालु मौजूद थे। करमापा तिब्बती काग्यू बौद्ध संप्रदाय का करमा पंथ के अवतारी आध्यात्मिक गुरू माने जाते हैं।
किन साहित्यों का हो रहा पाठ
काग्यू मोनलम के दौरान 17वें करमापा द्वारा बोधिचर्यावतार, मंजूश्रीमूल्कल्प, सुखावती व्यूह का पाठ किया जा रहा है। इसके अलावा सामंतभद्र के साहित्य भी पढ़े जा रहे हंै। प्रतिदिन मंजूश्री, बोधिसत्व, अमिताभ, महामुद्रा, अक्षोभ्य बुद्ध व महाकाल की पूजा की जाती है।
तांत्रिक है काग्यू मोनलम पूजा
यह तांत्रिक पूजा है। करमापा ने बताया कि इस पूजा की अवधारणा है-सांसारिक विषयों से चंचल चित्त के साथ परम शांत कारण आदिबुद्ध में प्राण के लय के स्थापित करना। आदिबुद्ध की कल्पना, करूणा और शून्यता की मूर्ति के रूप में की गई है। आदिबुद्ध की देवी या शक्ति प्रज्ञा या काली है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Post a Comment