अदाहि अविनाशी च शून्यता वज्रमुच्यते अर्थात वज्र कभी नष्ट नहीं होता है, वह दुर्भेद्य है, अपरिवर्तनशील, अभेद्य, न जलने योग्य व अविनाशी है। यह शून्यता का प्रतीक है। 17वें करमापा थिनले थाए दोरजे ने महाबोधि मंदिर परिसर में शनिवार को काग्यू मोनलम में मृत जीवों के लिए एक घंटे के विशेष पूजा के दौरान उक्त मंत्र का जाप करते हुए कहा कि आत्मा वज्र की भांति अविनाशी है। उन्होंने कहा कि हम अपने कर्म के अनुसार नए जीवन में मृत्यु के बाद भी प्रवेश करते हैं। करमापा ने कहा कि यह एक गहरी मान्यता है कि शुभेच्छा की यह प्रार्थना महान बोधिसत्व के साथ की जाती है, इसलिए इसमें प्राकृतिक आपदाओं को दूर करने की क्षमता होती और सभी दुष्कर्मों से बचा सकती है। यह प्रार्थना करना मन में निर्वाण प्राप्ति के बीज बोने जैसा महान सुअवसर है। सभी दयालुता के साथ जीव मात्र के कल्याण की कामना कर रहे थे।

शांति प्रार्थना की उत्पत्ति पर अपनी अगाध श्रद्धा व्यक्त करते हुए करमापा थाए दोरजे ने कहा कि हम सभी जागरूक प्राणियों के लाभ के लिए कामना करते हैं और बिना किसी शर्त, दया या उम्मीद के हमारी योग्यता और ज्ञान को समर्पित करते हैं।

काग्यू मोनलम में पूजा करते करमापा थिनले थाए दोरजे।

इन देशों के थे श्रद्धालु : इस मौके पर मंदिर परिसर में आस्ट्रिया, हंगरी, स्पेन, स्विटजरलैंड, पोलैंड, डेनमार्क, फ्रांस, मलेशिया, सिंगापुर, हांगकांग, जर्मनी, ताइवान सहित लगभग 20 देशों के श्रद्धालु मौजूद थे। करमापा तिब्बती काग्यू बौद्ध संप्रदाय का करमा पंथ के अवतारी आध्यात्मिक गुरू माने जाते हैं।

किन साहित्यों का हो रहा पाठ

काग्यू मोनलम के दौरान 17वें करमापा द्वारा बोधिचर्यावतार, मंजूश्रीमूल्कल्प, सुखावती व्यूह का पाठ किया जा रहा है। इसके अलावा सामंतभद्र के साहित्य भी पढ़े जा रहे हंै। प्रतिदिन मंजूश्री, बोधिसत्व, अमिताभ, महामुद्रा, अक्षोभ्य बुद्ध व महाकाल की पूजा की जाती है।

तांत्रिक है काग्यू मोनलम पूजा

यह तांत्रिक पूजा है। करमापा ने बताया कि इस पूजा की अवधारणा है-सांसारिक विषयों से चंचल चित्त के साथ परम शांत कारण आदिबुद्ध में प्राण के लय के स्थापित करना। आदिबुद्ध की कल्पना, करूणा और शून्यता की मूर्ति के रूप में की गई है। आदिबुद्ध की देवी या शक्ति प्रज्ञा या काली है।



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Gaya News - karmapa performs special worship for dead creatures

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