मुजफ्फरपुर .बाबा गरीबनाथ पर जलाभिषेक के दाैरान अर्पित हाेने वाले बेलपत्र व फूलों से निर्मित जैविक खाद अब बाजार से सस्ते मूल्य पर किसानों को मिलेगी। अर्पित हाेने वाले इन फूलाें व बेलपत्र की रिसाइकलिंग करने के बाद पूसा स्थित राजेंद्र कृषि केंद्रीय विश्वविद्यालय जैविक खाद बना रहा है। गुरुवार काे बाबा गरीबनाथ मंदिर स्थित सभागार में राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विवि के कुलपति रमेशचंद्र श्रीवास्तव समेत न्यास समिति के सदस्याें ने इसको लॉन्च किया। कुलपति ने कहा कि जैविक खाद का उत्पादन शुरू कर दिया गया है। प्रतिदिन मंदिर से प्राप्त फूलों व बेलपत्र से करीब 100 किलाे जैविक खाद का उत्पादन हाेगा।

बाजार के खाद से ज्यादा गुणवत्ता

इसकी गुणवत्ता बाजार में मिलने वाले जैविक खाद से कई गुना अच्छी है। गुणवत्ता काे अाैर बेहतर बनाने अाैर फसलाें पर इस खाद का क्या असर हाेगा, इसका विवि में शाेध चल रहा है। बेलपत्र व फूलों काे ढाेने के लिए विवि की अाेर से दाे ई-रिक्शा भी उपलब्ध कराया गया है। कुलपति ने बताया कि बाबा गरीबनाथ मंदिर के फूल-बेलपत्र से जैविक खाद का उत्पादन शुरू हाेने की जानकारी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद काे दी गई है। मंदिर से विवि के जुड़ने पर राष्ट्रपति ने काफी हर्ष जताया है।

देवघर में अर्पित बेलपत्र और फूलों से पहले से बन रही खाद
विश्वविद्यालय देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ पर अर्पित हाेेने वाले बेलपत्र व फूलों की रिसाइकलिंग कर जैविक खाद बनाने का काम पहले से ही कर रहा है। यह कई लाेगाें की अाजीविका का साधन भी बन गया है। अरेराज के सोमेश्वर महादेव मंदिर के फूलों से खाद बनाने की योजना पाइपलाइन में है।

अन्य मंदिरों से प्रस्ताव मिला तो खाद बनाने को विवि तैयार
जैविक खाद बनाने का काम देख रहे विवि के प्राे. शंकर झा ने कहा कि बाजार में बिकने वाले खाद की डेनसिटी प्वाइंट 98 है, जबकि इस खाद की 68 है। इस कारण यह काफी गुणवतापूर्ण है। इसके लिए सॉइल इंस्टीच्यूट भोपाल से मदद ली गई है। अन्य मंदिरों से प्रस्ताव मिला तो विश्वविद्यालय खाद बनाने का काम करेगा।

2 नवंबर काे हुअा था एमअाेयू साइन, 4 से उठाव शुरू

न्यास समिति के सचिव एनके सिन्हा ने बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू होने के बाद फूल व बेलपत्र को नदी में बहाने पर राेक लगा दी गई। 2 नवंबर काे एमअाेयू पर साइन किया गया। 4 से उठाव शुरू हाे गया।

दाे अाैर पांच किलाे के पैकेट में बिकेगी खाद

फिलहाल जैविक खाद की बिक्री विवि की अाेर से की जा रही है। मंदिर कैंपस में भी एक काउंटर हाेगा। पांच किलाे के पैकेट का मूल्य 35 अाैर दाे किलाे के पैकेट का मूल्य 15 रुपए हाेगा।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अर्पित हाेने वाले इन फूलाें व बेलपत्र की रिसाइकलिंग करने के बाद पूसा स्थित राजेंद्र कृषि केंद्रीय विश्वविद्यालय जैविक खाद बना रहा है।

Post a Comment