कोरोना वायरस को इससे हर तबका खौफजदा है। इस वायरस के खौफ से जिले में फिलहाल एक भी शख्स के प्रभावित होने की खबर तो सामने नहीं आई है, लेकिन सबसे अधिक प्रभाव पॉल्ट्री व्यवसाय पर आया है। इसी बीच प्रशासन ने जिले के सभी शिक्षण संस्थान को 31 मार्च तक बंद करने का आदेश जारी किया है। दरअसल कोरोना एक ऐसा वायरस है, जो चीन के बाद भारत में पांव पसार दिया है। वैसे इसके सस्पेक्टेड (संदेहास्पद ) मरीज विभिन्न हिस्सों में मिलने की खबर लोगों को समाचार पत्रों के जरिए पढ़ने व सुनने को मिल रही है। इस वायरस को गंभीरता से लेते हुये कैमूर जिला प्रशासन ने भी एहतियाती कदम उठाए हैं। जिला मुख्यालय भभुआ में सदर अस्पताल में कोरोना वार्ड भी बनाए गए हैं। हालाकि कैमूर जिले में इसके एक भी मरीज नहीं मिले हैं। इधर, इस वायरस के खौफ से सबसे ज्यादा असर जिले के पोल्ट्री व्यवसाय पर पड़ता दिख रहा हैं। चिकन और अंडे की बिक्री में जबरदस्त गिरावट आ गई है। दरअसल, कोरोना वायरस के मद्देनज़र लोगों में इस तरह की अफवाहें फैल रही हैं कि बर्ड फ्लू की तरह कोरोना वायरस भी (नॉन भेज ) मांसाहारी के व्यवहार से फैलता है। इस वजह से लोग चिकन खाने से दूरी बना रहे हैं। हालांकि, चिकन खाने वाले लोग शाकाहारी सब्जी कटहल से काम चला रहे हैं।

जिले में 31 मार्च तक बंद रहेंगे सभी शिक्षण संस्थान

सरकार के अपर मुख्य सचिव आमीर सुबहानी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर निर्देश दिया है कि नॉवेल कोरोना वायरस को देखते हुये एहतियातन जिले में सभी सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थान (स्कूल/कालेज ) आगामी 31 मार्च तक बंद रहेंगे। इसके अलावे जिले में कल्चरल एक्टिविटी, आंगनबाड़ी केंद्र, सिनेमा हाल, संग्रहालय, बड़े स्पोटर्स इवेंट, कोचिंग संस्थान के अलावे सांस्कृतिक महोत्सव भी बंद रहेंगे। वहीं कोरोना वायरस को लेकर वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा को भी स्थगित कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि शुक्रवार को कोरोना वायरस को लेकर से वीसी के जरिये सरकार के मुख्य सचिव ने सभी जिलों के जिलाधिकारी, सिविल सर्जन और जिला शिक्षा पदाधिकारी समेत संबन्धित विभागों के अधिकारियों के साथ वीसी कर गाइड लाइन जारी किए हैं।

प्रशासन अलर्ट है, एहतियातन बरती जा रही सतर्कता

इधर, कोरोना वायरस को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट है। एहतियातन सतर्कता भी बरती जा रही है। उधर, मांसाहार करने वाले कोरोना वायरस के डर से चिकन, मटन, अंडा से दूरी बना रहे हैं। वे चिकन जैसा स्वाद लेने के लिए भोजन में कटहल का इस्तेमाल कर रहे हैं। यही वजह है कि पिछले एक सप्ताह में कटहल की मांग काफी बढ़ गई है। दुकानदारों ने मुंहमांगी कीमत ग्राहकों से वसूल रहे हैं।

जिले में अंडे की होलसेल रेट में भी भारी कमी आई

कोरोना वायरस के खौफ से जिले में चिकन (मुर्गे) की कीमत 80 प्रतिशत तक कम हो गई है। अंडा के व्यवसायी मंटू भाई, राजन गुप्ता समेत अन्य ने बताया है कि पोल्ट्री फार्म को एक अंडे की लागत करीब चार रुपये आ रही है जबकि बाजार 2.80 रुपये में बेचना पड़ रहा है। इधर, जिले में चिकन कारोबार से जुड़े व्यवसायी को हर दिन लगभग 30 से 40 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

30 डिग्री टेम्प्रेचर पर नष्ट हो जाते हैं कोरोना वायरस

चिकन, अंडे व बकरे इत्यादि (नॉन भेज) को अगर 30 डिग्री टेम्प्रेचर पर व्वायल किया जाए तो कोरोना के वायरस नष्ट हो जाते हैं। यानी इसका प्रभाव खत्म हो जाता है। वैसे जिला पशुपालन विभाग के मुताबिक मुर्गा-मुर्गी,बकरा-बकरी, घोडा, गाय व भैंस समेत अन्य के 300 सीरम कलेक्ट कर एफएसएल पटना जांच को भेजे गए थे। इन सब में कोरोना निगेटिव रिपोर्ट आया। वैसे ताजा और साथ-सुथरा नॉन भेज का सेवन सेहत के लिए हानिकारक नहीं है। कोरोना वायरस का खतरा नॉन भेज सेवन करने से नहीं होता है। डाक्टर अरविंद कुमार सिन्हा, जिला पशुपालन पदाधिकारी, कैमूर

मुर्गा पोल्ट्री।

चिकन की घट गई 80 प्रतिशत कीमतजिले में चिकन की कीमत लगभग 80 प्रतिशत तक घट गई है। हाल यह है कि चिकन 40 से 50 रुपए किग्रा बिक रहा है। डेढ़ महीने पहले तक चिकन की कीमत 150 से 170 रुपये प्रति किलो थी, मार्च में यह घटकर 40 से 50 रुपए किग्रा पर आ गई है। पॉल्ट्री फार्म से जुड़े कारोबारियों की मानें तो अफवाहों की वजह से इस व्यवसाय से जुड़े सभी लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

बीमारी को लेकर जिला प्रशासन ने सभी अस्पतालों को अलर्ट रहने का दिया आदेश



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Bhabhua News - awe of corona poultry business stalled loss of 40 lakhs per day

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