(राकेश रंजन)कोरोना की महामारी के बीच उन मरीजों काे सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है, जो साधारण सर्दी-खांसी, बुखार व सिरदर्द से पीड़ित होने पर चिकित्सक से फोन पर सलाह ले रहे हैं। दवा के लिए जाने पर दुकानदार उनसे डॉक्टर की पर्ची मांग कर रहे हैं और नहीं रहने पर बिना दवा वापस कर दे रहे हैं। अभी राजधानी में 80 फीसदी चिकित्सकों ने अपना निजी क्लिनिक बंद कर रखा है और मरीजों को ऑनलाइन या टेलीफोनिक सेवा दे रहे हैं। लेकिन, इस सेवा का मरीजों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। 20 फीसदी चिकित्सक ओपीडी चला रहे हैं, लेकिन सार्वजनिक परिवहन सुविधा बहाल नहीं होने के कारण उनके पास पहुंचने वाले मरीजों की संख्या न के बराबर है।
पर्ची देखने के साथ ही मांगना है नाम, पता और मोबाइल नंबर
औषधि नियंत्रक की ओर 7 अप्रैल को सभी खुदरा दवा दुकानदारों को जारी निर्देश के अनुसार किसी भी मरीज द्वारा सर्दी-खांसी और बुखार की दवा की मांग करने पर उससे नाम, मोबाइल नंबर और पता की मांग करनी है। कैशमेमो पर मोबाइल नंबर और उनका पता अंकित करना है। उसकी एक कॉपी अपने क्षेत्र के सहायक औषधि नियंत्रक के पास भेजनी है, ताकि उस मरीज की ट्रैकिंग कराई जा सके और उस पर नजर रखी जा सके। कदमकुआं स्थित एक खुदरा दवा दुकानदार ने बताया कि इस संबंध में निर्देश मिलने के बाद हम सर्दी, खांसी और बुखार की दवा बिना प्रिस्क्रिप्शन देखे नहीं दे रहे हैं। अधिकतर चिकित्सकों का ओपीडी बंद होने के कारण प्रिस्क्रिप्शन के साथ सर्दी, खांसी और बुखार की दवा के लिए आने वाले मरीजों की संख्या न के बराबर है। हमें औषधि नियंत्रक की ओर से पहले से निर्देश है कि किसी भी प्रकार की दवा बिना प्रिस्क्रिप्शन के नहीं देनी है, लेकिन अभी इसका ज्यादा गंभीरता से पालन करना है।

टेलीमेडिसिन से सीमित दवाओं का ही सुझाव
वरीय फिजिशियन और आईएमए के वरीय उपाध्यक्ष डाॅ. अजय कुमार ने बताया कि टेली मेडिसिन सेवा में सीमित और अति साधारण दवा लिखवाने का अधिकार ही चिकित्सकों के पास है। कोरोना महामारी के समय में अगर कोई मरीज मलेरिया, गले के इंफेक्शन आदि की विशेष दवा की मांग दुकान में करता है, वह बिना प्रिस्क्रिप्शन के देना उचित नहीं है। साधारण पारासिटामोल व एलर्जी आदि की दवाएं दी जा सकती हैं। वहीं, औषधि नियंत्रक रविंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि दवा दुकानदाराें को शिड्यूल दवाएं बिना प्रिस्क्रिप्शन के नहीं देने संबंधी निर्देश पहले से जारी है। अभी के समय में अगर कोई बुखार, सर्दी आदि की दवाओं की मांग करता है, तो दुकानदार काे उसका पूरा पता, मोबाइल नंबर और नाम लेकर सहायक औषधि नियंत्रक के कार्यालय में भेजना है, ताकि उसकी ट्रैकिंग की जा सके। सोमवार को दवा दुकानदारों की ओर से ऐसे 107 मरीजों के नाम, पता और मोबाइल नंबर भेजे गए हैं, जो सर्दी, खांसी और बुखार की दवा लेने पहुंचे थे।

क्लिनिक खुलने पर भी नहीं पहुंच रहे मरीज

वरीय फिजिशियन डाॅ राजीव रंजन ने बताया कि क्लिनिक खुलने के बावजूद मरीज नहीं पहुंच पा रहे हैं। हर दिन सुबह और शाम बोरिंग रोड और राजेंद्रनगर स्थित क्लिनिक में बैठता हूं, लेकिन सार्वजनिक परिवहन सुविधा नहीं होने के कारण मरीज नहीं पहुंच पाते हैं। कई मरीज टेलीफोन पर ही दवा की सलाह लेते हैं, लेकिन यह सुविधा होनी चाहिए कि उन्हें दवा मिल जाए। हां, उनका नाम, नंबर और मोबाइल नंबर ले लेना चाहिए, ताकि समय पड़ने पर ट्रैकिंग की जा सके। उन्होंने बताया कि हर सर्दी-खांसी और बुखार कोरोना नहीं है। अभी बदलते मौसम के कारण भी साधारण फ्लू और सर्दी खांसी की मरीज बढ़े हैं। लेकिन, अभी ज्यादा सावधानी की जरूरत है। मेरे पास भी अगर बुखार, सर्दी या खांसी का मरीज पहुंचता है, तो पहले उसकी स्क्रीनिंग करते हैं। कोरोना संदिग्ध लगने पर तुरंत एनएमसीएच भेज देते हैं।

एम्स : अबतक 380 मरीजाें ने फाेन पर ली सलाह
राजधानी के अधिकांश चिकित्सक अभी ऑनलाइन सेवा दे रहे हैं। इसके अलावा पटना एम्स में टेली मेडिसिन सेवा एक अप्रैल से शुरू है, जिनके माध्यम से हर दिन कई मरीजों को सुविधा दी जा रही है। टेली मेडिसिल के इंचार्ज सह इमरजेंसी और ट्रॉमा के हेड डाॅ अनिल कुमार के अनुसार अबतक 380 मरीजों को टेलीमेडिसिन से लाभ दिया जा चुका है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Patients taking advice from doctors on phone, but shopkeepers are not giving medicines without cold, cough and fever

Post a Comment