‘जून तक जिले में कुल 17 घटनाएं हो चुकी थीं। अपराध के आंकड़े नीचे उतरने लगे थे। पुलिस के ऑपरेशन गंगाजल के बारे में शहर से लेकर गांव-गांव तक मुंहामुंही बात फैलने लगी। लोगों को जब मालूम हुआ तो उन्होंने न सिर्फ प्रसन्नता व्यक्त की, बल्कि पुलिस को सहयोग भी करने लगे।’
किस्त : 16
जेल अधीक्षक बच्चूलाल दास ने पुन: जिला जज को पत्र लिखा और उन्हें अंधे बंदियों के बारे में जानकारी दी। मगर, जिला जज ने संज्ञान नहीं लिया। दूसरी ओर पुलिस मिशन में जुटी रही। इस दौरान एकोरिया (बांका) के वसीम मियां, बकचप्पर के सल्लो बेलदार और पीरपैंती के काशी मंडल भी पकड़े गए। पुलिस ने इन तीनों की आंखों को भी टेकुआ से भोंक उसमें तेजाब डाल अंधा कर दिया। एसपी बीडी राम ने पुलिस को ऑपरेशन जारी रखने का निर्देश दिया।
जून तक जिले में कुल 17 घटनाएं हो चुकी थीं। अपराध के आंकड़े नीचे उतरने लगे थे। पुलिस के ऑपरेशन के बारे में गांव तक बात फैलने लगी। लोगों न सिर्फ प्रसन्न हुए, बल्कि पुलिस को सहयोग भी करने लगे। यह चर्चा खबरनवीसों तक पहुंची। कोलकाता से एक खबरनवीस भागलपुर आ पहुंचे। दिनभर जानकारी ली। शाम हो गई तो सोचा खबर कल भेज देंगे। रात का खाना-पीना एक स्थानीय मित्र के घर पर हुआ। मित्र अध्यापक थे। मगर, एक अंग्रेजी अखबार से भी जुड़े थे। खबरनवीस के मुंह से यह बात निकली, ‘कल भागलपुर की बड़ी खबर ब्रेक करनी है। ऐसी खबर है, जिससे सरकार की चूलें हिल जाएंगी।’ अध्यापक के कान खड़े हो गए। उन्होंने किसी तरह पूछ लिया कि आखिर मसला क्या है। जब उन्हें मालूम हुआ, तब वे चौंक गए। खबरनवीस जब खर्राटे भरने लगे तब अध्यापक ने फटाफट एक संक्षिप्त खबर बनाई और उसे रात को ही दिल्ली के उस अंग्रेजी अखबार को फैक्स कर दिया। अगले दिन वह खबर छपी, लेकिन छोटी-सी थी। भागलपुर तो अखबार आया नहीं, मगर दिल्ली में उसकी चर्चा होने लगी। संयोग से संपादक की नजर उस खबर पर पड़ी और उन्होंने पटना संवाददाता को कांड की कवरेज के लिए भेजा। लंबी-चौड़ी प्लानिंग दी। उसके मुताबिक दूसरे दिन की कवरेज ने दिल्ली सहित सरकार को झकझोर कर रख दिया। अंखफोड़वा कांड के साथ एसपी बीडी राम मीडिया की सुर्खियों में छाने लगे। उनके पूर्व के एसपी आरबी राम की चर्चा तक नहीं हुई, जिन्होंने ‘ऑपरेशन गंगाजल’ शुरू करवाया था।
-सुजीत कुमार ‘पप्पू’
भागलपुर अंखफोड़वा कांड
अगली किस्त : जुलाई में सात अपराधियों की फोड़ दी गईं आंखें।
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किस्त : 16
जेल अधीक्षक बच्चूलाल दास ने पुन: जिला जज को पत्र लिखा और उन्हें अंधे बंदियों के बारे में जानकारी दी। मगर, जिला जज ने संज्ञान नहीं लिया। दूसरी ओर पुलिस मिशन में जुटी रही। इस दौरान एकोरिया (बांका) के वसीम मियां, बकचप्पर के सल्लो बेलदार और पीरपैंती के काशी मंडल भी पकड़े गए। पुलिस ने इन तीनों की आंखों को भी टेकुआ से भोंक उसमें तेजाब डाल अंधा कर दिया। एसपी बीडी राम ने पुलिस को ऑपरेशन जारी रखने का निर्देश दिया।
जून तक जिले में कुल 17 घटनाएं हो चुकी थीं। अपराध के आंकड़े नीचे उतरने लगे थे। पुलिस के ऑपरेशन के बारे में गांव तक बात फैलने लगी। लोगों न सिर्फ प्रसन्न हुए, बल्कि पुलिस को सहयोग भी करने लगे। यह चर्चा खबरनवीसों तक पहुंची। कोलकाता से एक खबरनवीस भागलपुर आ पहुंचे। दिनभर जानकारी ली। शाम हो गई तो सोचा खबर कल भेज देंगे। रात का खाना-पीना एक स्थानीय मित्र के घर पर हुआ। मित्र अध्यापक थे। मगर, एक अंग्रेजी अखबार से भी जुड़े थे। खबरनवीस के मुंह से यह बात निकली, ‘कल भागलपुर की बड़ी खबर ब्रेक करनी है। ऐसी खबर है, जिससे सरकार की चूलें हिल जाएंगी।’ अध्यापक के कान खड़े हो गए। उन्होंने किसी तरह पूछ लिया कि आखिर मसला क्या है। जब उन्हें मालूम हुआ, तब वे चौंक गए। खबरनवीस जब खर्राटे भरने लगे तब अध्यापक ने फटाफट एक संक्षिप्त खबर बनाई और उसे रात को ही दिल्ली के उस अंग्रेजी अखबार को फैक्स कर दिया। अगले दिन वह खबर छपी, लेकिन छोटी-सी थी। भागलपुर तो अखबार आया नहीं, मगर दिल्ली में उसकी चर्चा होने लगी। संयोग से संपादक की नजर उस खबर पर पड़ी और उन्होंने पटना संवाददाता को कांड की कवरेज के लिए भेजा। लंबी-चौड़ी प्लानिंग दी। उसके मुताबिक दूसरे दिन की कवरेज ने दिल्ली सहित सरकार को झकझोर कर रख दिया। अंखफोड़वा कांड के साथ एसपी बीडी राम मीडिया की सुर्खियों में छाने लगे। उनके पूर्व के एसपी आरबी राम की चर्चा तक नहीं हुई, जिन्होंने ‘ऑपरेशन गंगाजल’ शुरू करवाया था।
-सुजीत कुमार ‘पप्पू’
भागलपुर अंखफोड़वा कांड
अगली किस्त : जुलाई में सात अपराधियों की फोड़ दी गईं आंखें।
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