टिड्‌डी दल के संभावित हमले के मद्देनजर शनिवार को जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने समाहरणालय में अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें टिड्डी के प्रकोप व फसलों को बचाने को लेकर रणनीति बनाई गई और दिशानिर्देश जारी किया गया। बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि टिड्डियों का दल राजस्थान होते हुए उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद तक पहुंच चुका है और उसके बिहार के सीमावर्ती जिले कैमूर, गया, रोहतास, गोपालगंज होते हुए बेगूसराय से खगड़िया जिला तक प्रवेश करने एवं फसलों को क्षति होने की आशंका है। उल्लेखनीय है कि इस समय जहां एक तरफ देश कोविड-19 से लड़ाई लड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ राज्यों में टिड्डियों ने आतंक मचा रखा है। राजस्थान, हरियाणा व गुजरात में इसके कारण फसल व पेड़ पौधों को भारी नुकसान पहुंचा है। अब यह टिड्डी दल पूरब की ओर बढ़ चला है। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में भी इनके आने की आशंका है। ज्ञात हो कि टिड्डी दल अपने मार्ग में आने वाले हरे पेड़-पौधों, साग-सब्जियों एवं अन्य फसलों को खाकर क्षति पहुंचाते हैं। इनकी मुख्यतः तीन अवस्था हैं। अंडा, शिशु टिड्डी एवं व्यस्क टिड्डी। अंडा को छोड़कर दोनों फसलों के लिए हानिकारक हैं। टिड्डी दल सूरज की चमकीली रोशनी में झुंडों में उड़ते रहते हैं। बैठक में डीएम ने कहा कि टिड्डी दल अपने मार्ग में आने वाले हरे पेड़-पौधों, साग-सब्जियों एवं फसलों को भयंकर क्षति पहुंचाते हैं। इनके संभावित प्रकोप से बचने के सभी उपाय तुरंत किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कृषि निदेशालय से प्राप्त निर्देशानुसार जिला कृषि पदाधिकारी को टिड्डियों के प्रकोप से बचाव के लिए दिशा-निर्देश दिया।

टिड्डियों से बचाव को लेकर दिया गया यह दिशा निर्देश
टिड्डियों के नियंत्रण की कार्रवाई युद्धस्तर पर की जाए।
जिलास्तर, प्रखंड स्तर एवं पंचायत स्तर पर टिड्डी नियंत्रण के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया जाए।
संभावित प्रभावित क्षेत्रों के लिए कृषि रक्षा रसायनों, स्पेयर्स एवं ट्रैक्टर्स की व्यवस्था करली जाए।
टिड्डी दल प्रायः पेड़-पौधों पर सूर्य उगने होने तक आश्रय लेते हैं। सर्वेक्षण द्वारा आश्रय के स्थान को चिह्नित कर लिया जाए।



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बैठक करते डीएम

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