औरंगाबाद में एक 58 साल के दाराेगा और सारण में एक अधेड़ की कोरोना से मौत हो गई है। इसके साथ ही अब तक प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है। हैरत की बात यह कि दारोगा बीरेन्द्र तिवारी को शूगर सहित कई बीमारियां थीं लेकिन सरकार के स्पष्ट आदेश के बावजूद उनकी क्वारेंटाइन सेंटर में ड्यूटी लगाई गई। खुदवां थाने में पदस्थापित दारोगा की मौत शनिवार को हुई लेकिन उनकी कोरोना रिपोर्ट मंगलवार को पॉजिटिव आई।
इधर, बिहार में मंगलवार को 208 नए पॉजिटिव मरीज मिले हैं। इनमें पटना के एसएसपी ऑफिस के एक जवान समेत 5 लोग शामिल हैं। एक बीएमपी वन का जवान भी संक्रमित निकला। डेढ़ माह बाद फ्रेजर रोड में कोरोना ने फिर दस्तक दी। कंकड़बाग में पिता-पुत्री संक्रमित मिले। इस तरह राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 5455 हो गई है। वहीं 228 अाैर कोरोना पॉजिटिव स्वस्थ होकर घर गए हैं। अब तक ठीक होने वालों की कुल संख्या 2770 हो गई है।

औरंगाबाद एसपी से स्पष्टीकरण पूछेगा पुलिस मुख्यालय
दारोगा की कोरोना से मौत मामले में वहां के एसपी से स्पष्टीकरण पूछने की तैयारी शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार राज्य पुलिस मुख्यालय ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। मुख्यालय औरंगाबाद के एसपी से यह पूछेगा कि आखिर किस परिस्थिति में एक बीमार पुलिस ऑफिसर की ड्यूटी क्वारेंटाइन सेंटर में लगाई गई थी। दाराेगा की हसपुरा उच्च विद्यालय क्वारेंटाइन सेंटर में ड्यूटी थी। लेकिन, वह खुदवां थाने में पदस्थापित थे। दारोगा बक्सर के बैरी गांव के रहने वाले थे।
बड़ा सवाल

  • पुलिस मुख्यालय के निर्देश हैं कि 55 साल से ऊपर के पुलिसवालों की ड्यूटी कोरोना मोर्चे में नहीं लगेगी।
  • जिन पुलिसवालों को शूगर, अस्थमा, एलर्जी, हार्ट की बीमारी है, उनकी ड्यूटी भी नहीं लगेगी।
  • ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये कि दारोगा की उम्र भी अधिक और बीमारी भी...फिर भी ऐसी ड्यूटी कैसे?


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दाराेगा की हसपुरा उच्च विद्यालय क्वारेंटाइन सेंटर में ड्यूटी थी। लेकिन, वह खुदवां थाने में पदस्थापित थे।

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